Monday 15 August 2022

खोखो से अल्टीमेट खो खो यानि माटी से मैट तक का सफर

 

                                  (गूगल से साभार)

             जब खो खो खेल मिट्टी से मैट पर स्थानांतरित हो रहा होता है,तो ये खेल अपनी प्रगति के एक नए चरण में प्रवेश कर रहा होता है। और इसे देखने के बाद आप दुविधा में भी पड़ सकते हैं कि क्या ये वही खेल है जिसे हमने अपने बचपन में खेला या देखा था।

       दरअसल मैट वाली जिस अल्टीमेट खो खो को कल से देखना शुरू किया है ना,ये वो खो खो नहीं है जिसे आपने दिन की खिली धूप में मिट्टी पर खिलाड़ियों को नंगे पैर या पीटी शूज में सेंडो बनियान और नेकर पहने खेलते देखा है। इसमें मिट्टी की जगह कृत्रिम सिंथेटिक सतह आ गई है जैसे की अन्य खेलों के साथ साथ कुश्ती और कबड्डी में आ गई है। इसमें साधारण जूते नहीं बल्कि विशेष रूप से इस खेल के लिए डिजाइन किए जूते हैं। डिजायनर कपड़े हैं। ये अब दिन में नहीं बल्कि गहराती रात में कृत्रिम प्रकाश में खेला जाता है।

      तो इसमें चकाचौंध होगी ही। जुनून, एक्शन, गति,उन्माद भी भरपूर होगा। उत्तेजना भी होगी। शोर शराबा भी होगा। दिखावा होगा, थोड़ा नकलीपन, थोड़ा बनावटीपन भी होगा। इसमें चारों तरफ ग्लैमर ही ग्लैमर पसरा होगा।  यानि कृत्रिम प्रसाधनों की तीव्र महक से आपके नथुने फड़फड़ा उठेंगे। बस कुछ नहीं होगा तो पुरानी खो खो के देसीपन की सौंधी खुशबू नहीं होगी।

        और सिर्फ खेल सतह,खिलाड़ी,कपड़े और उनसे निर्मित वातावरण ही नहीं बल्कि खेल का स्वरूप भी बदल बदला मिलेगा। अब एक पाला जिसे खो खो में टर्म कहा गया है, 09 मिनट का नहीं बल्कि 07 मिनट का हो गया है।  अब एक खिलाड़ी के आउट होने होने पर एक नहीं दो अंक मिलेंगे। और अगर आपने छलांग यह स्काई डाइव या पोल डाइव हो, लगाकर अगर खिलाड़ी टैग किया है यानी आउट किया है,तो 3 अंक मिलेंगे। सबसे बड़ी बात तो अब डिफेंस के लिए भी अंक मिल सकते हैं। यदि कोई डिफेंडर ढाई मिनट सरवाइव कर पाता है तो उसे भी दो अंक मिलेंगे और उसके बाद तो अगले हर 30 सेकंड पर वो दो अंक ले सकता है। 

     'पावर प्ले' अब क्रिकेट की बपौती नहीं रह गयी है अब इसमें भी पावर प्ले  होगा। दरअसल एक नया कांसेप्ट वज़ीर का है। चेजर यानी अटैकर टीम में अब एक वज़ीर होगा जो अलग रंग की ड्रेस में होगा जैसे वॉलीबॉल में लिबेरो होता है। ये चेजर टीम का ट्रम्प कार्ड की तरह है। कोई भी चेजर जिस दिशा में आगे बढ़ता है उसे बदल नहीं सकता। लेकिन वज़ीर के पास ये पॉवर होती है कि वो कभी भी कैसे भी किसी भी दिशा में मुड़कर रनर या डिफेंडर को टैग कर सकता है। और चेजर या अटैकर टीम डिफेंडर टीम के किसी भी एक बैच में दो वज़ीर का प्रयोग कर सकती है। यही समय पावर प्ले कहलाता है।

        अब बात कल के मैचों की। पहला मैच मुम्बई ख़िलाडीज और गुजरात जाइंट्स के बीच हुआ। पहली पाली यानी दो टर्म तक मुकाबला बारबरी का था लेकिन बाद में गुजरात  ने मुकाबले को एकतरफा बनाकर 69-44 अंकों से जीत लिया।

          गुजरात के कप्तान रंजन शेट्टी ने टॉस जीतकर डिफेंड करने का फैसला किया। पहले दो टर्म में मुम्बई 22-2 पर थी। दूसरे टर्म में गुजरात02 को की बढ़त के साथ 26-24 पर थी। तीसरे टर्म में स्कोर रहा44-30।.गुजरात को जीत के लिए केवल 15 अंक चाहिए थे। लेकिन उसने चौथे टर्म में 39 अंक जुटाकर एक मैच 69-44 अंकों से जीत लिया।

       दूसरा मैच तेलुगु योद्धाज और चेन्नई क्विक गन्स के बीच खेला गया। ये मुकाबला पहले के मुकाबले कम स्कोर और नजदीकी रहा। पहली पाली में स्कोर तेलुगु गन्स के पक्ष में 29 -15 रहा। दूसरी पाली में चेन्नई ने 23-19 अंकों के साथ वापसी करने की कोशिश की लेकिन मुकाबला48- 38 अंकों से योद्धाज के पक्ष में रहा।

        और चलते चलते ये कि आप राहुल चौधरी को जानते हैं ना। वही कबड्डी वाले। कबड्डी के पहले स्टार और फैशन स्टेटमेंट'। यानी कबड्डी के सचिन नहीं बल्कि विराट कोहली।हो सकता है इस सीजन के बाद आप गुजरात जायंट्स के अनिकेत पोटे को खो खो का राहुल चौधरी होते देखें। उनमें स्टार होने की काबिलियत है। खो खो में  ढाई मिनट सरवाइव करना बड़ी बात है। कल अनिकेत ने ये कारनामा दो बार किया और 04 डिफेंड अंक अर्जित किए। आगे आगे देखिए होता है क्या।



No comments:

Post a Comment

ये हार भारतीय क्रिकेट का 'माराकांजो' है।

आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...