कल प्रो कबड्डी सीजन आठ के सेमीफाइनल मैच खेले गए। दोनों मैच अपनी प्रकृति में भिन्न थे पर समान परिणाम वाले। दोनों मैचों में बेहतरीन टीम ने जीत हासिल की।
पहला सेमीफाइनल पटना पाइरेट्स और यूपी योद्धा के बीच था। पाइरेट्स ने योद्धा को लगभग एकतरफा मुकाबले में 38-27 अंकों से हरा दिया। ये मुकाबला स्टार खिलाड़ी बनाम टीम का था। योद्धा में प्रदीप नरवाल,सुरेंद्र गिल और आशु अंग जैसे स्टार थे तो दूसरी तरफ पाइरेट्स में कोई स्टार नहीं है। प्रदीप नरवाल ने पाइरेट्स को तीन बार चैंपियन बनाया था।लेकिन इस बार वे योद्धा के लिए खेल रहे थे। पाइरेट्स के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था। लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। वे एक यूनिट के रूप में खेल रहे थे। और उन्होंने अपने खेल से दिखाया कि टीम गेम में एक यूनिट के रूप में टीम किसी भी स्टार से बड़ी होती है। पूरे सीजन पाइरेट्स ने शानदार प्रदर्शन किया।
दरअसल इस मैच में चौथा टाइटल दांव पर था। या तो पाइरेट्स को चौथे टाइटल का दावेदार बनना था या फिर पाइरेट्स के पूर्व स्टार प्रदीप नरवाल को। जीत पटना पाइरेट्स की हुई। कल पाइरेट्स ने शुरू में में ही 4-0 की बढ़त ले ली। उसके बाद योद्धा को आल आउट कर I1-4 की बढ़त ले ली। आधे समय तक पाइरेट्स की बढ़त 23 -09 की हो चुकी थी।
दूसरे हाफ में भी स्थिति वैसी ही रही। पाइरेट्स ने तीन अंक और जुटाए और बढ़त 17 अंकों की कर ली। इसके बाद योद्धा ने कुछ संघर्ष करने की कोशिश की। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। दरअसल पटना की टीम को प्रदीप का शानदार खेल ही हरा सकता था। वैसा खेल जैसा प्रदीप ने पुनेरी पलटन के खिलाफ दिखाया था। लेकिन प्रदीप एक बार फिर खराब खेले और केवल 04 अंक जुटा पाए। दरअसल प्रदीप का खराब खेलना योद्धा का हार जाना था। पाइरेट्स की और से युवा खिलाड़ी गुमान सिंह ने 08 रेड अंक और पहला सीजन खेल रहे ईरानी खिलाड़ी मोहम्मद रेज़ा ने 06 टैकल अंक हासिल किए। ये दोनों पटना पाइरेट्स के और लीग के नए उभरते सितारे हैं। दरअसल बड़े सितारों का डूबना नए सितारों के उदय का रास्ता बनाता है।
दूसरा सेमीफाइनल दिल्ली दबंग और बेंगलुरु बुल्स के बीच था। पहले सेमीफाइनल के उलट ये एक संघर्षपूर्ण मैच था। ये दो सितारों की भिड़ंत का,उनके कौशल के द्वंद का मैच था। एक तरफ इस सीजन के सबसे अधिक रेड अंक जुटाने वाले बुल्स के पवन सहरावत थे तो दूसरी और शानदार युवा रेडर नवीन कुमार थे। दोनों ने शानदार प्रदर्शन किया। नवीन ने 14 रेड अंक जुटाए तो पवन ने 18 रेड अंक लिए। अंतर केवल साथियों के सहयोग का था। पवन टीम के लिए अकेले संघर्ष कर रहे थे। बुल्स के जिस डिफेंस ने एलिमिनेटर मैच में गुजरात जायंट को बांध कर रख दिया था,उसके इस मैच में खुद हाथ बंध गए थे। दूसरी तरफ नवीन को साथियों का साथ मिला। यही कारण था दिल्ली की दबंगई ने बेकाबू बुल्स को काबू में कर लिया और मैच 40-35 अंकों से जीत लिया।
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अब शुक्रवार को पटना पाइरेट्स अपने चौथे खिताब के लिए खेलेगी तो दिल्ली दबंग का ये बैक टू बैक लगातार दूसरा फाइनल होगा। नवीन का पिछली बार बेंगाल वारियर्स से हार के बाद ज़ार ज़ार रोना किसे भूला होगा। उनकी आंखों से पानी इस बार भी बहना लाज़मी है। देखना बस इतना है कि इन आंसुओं में मुस्कुराहट घुली होगी या उदासी।
और हां हिंदी अखबारों ने फिर निराश किया।
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