Saturday, 13 February 2021

रेडियो दिवस_1


 रेडियो से इश्क़ दरअसल आसमां में सरकते चांद सा होता है जो हौले हौले आपकी कल्पनाओं को सहलाता है और आपकी बेचैनियों,आपकी निराशा,आपके एकांत के अंधेरों को अपनी मखमली रोशनी से रिप्लेस कर देता है।📻🌛


No comments:

Post a Comment

अकारज_22

उ से विरल होते गरम दिन रुचते। मैं सघन होती सर्द रातों में रमता। उसे चटकती धूप सुहाती। मुझे मद्धिम रोशनी। लेकिन इन तमाम असंगतियां के बीच एक स...