Wednesday, 2 November 2016

अपने अपने युद्ध



ऐन उस वक्त 
जब एक युद्ध हो रहा होता है सीमा पर 
कई युद्ध कर रहे होते हैं लोग घरों में  
सीमा पे लड़े जा रहे युद्ध से अधिक विध्वंसक  
वे लड़ रहे होते हैं अपने अपने भय से। 

एक युद्ध कर रहे होते हैं माँ बाप

अपनी लाठी के हाथ से छूट जाने के भय से और 
जीवन की साँझ की उम्मीद 
दो मज़बूत कंधों के टूट जाने के भय से। 
पत्नी लड़ रही होती है
पहाड़ सी ज़िन्दगी से लड़ने वाले साथी का हाथ छूट जाने के भय से 
बहन लड़ रही होती है एक कलाई के खो जाने के भय से 
एक बेटी लड़ रही होती है
अपने सबसे बड़े हीरो की उंगली छूट जाने के भय से  
और वे सब एक साथ लड़ रहे होते हैं 
पेट की आग बुझाने के लिए होने वाली चिंता के भय से 

सुनो 

अब जब भी बात करो तुम युद्ध की 
एक बार उन युद्धों की सोचना 
जो किए जा रहे हैं अपने अपने सपनों के मरने के भय से 
और फिर कवि की  उक्ति याद करना कि
 'सबसे खतरनाक  होता है सपनों का मर जाना'
उसके बाद भी हिम्मत बचे 
तो बात करना युद्ध की।  

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क्या युद्ध इतने ज़रूरी होते हैं ?

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