Thursday, 29 September 2016

फुटकल_1



ये कैसा तूफान है ज़िन्दगी में इस बार
ना हलचल है कोई ना शोर
आहें हैं सिसकियाँ हैं
बस यही निशां हैं बर्बादी के चारों ओर।
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