सबसे पहले आते हैं अक्षर
अक्षर गढ़ते हैं शब्द
शब्द से बनते है वाक्य
वाक्य बनाते हैं पृष्ठ
पृष्ठों से बनते हैं अध्याय
अध्याय मिलकर लेते हैं आकार पुस्तक का
अचानक आता है एक शीर्षक
किसी सामंत की तरह
मिट जाती है सबकी पहचान
सब जाने जाते हैं उस शीर्षक से।
ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...
Its awesome
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