सबसे पहले आते हैं अक्षर
अक्षर गढ़ते हैं शब्द
शब्द से बनते है वाक्य
वाक्य बनाते हैं पृष्ठ
पृष्ठों से बनते हैं अध्याय
अध्याय मिलकर लेते हैं आकार पुस्तक का
अचानक आता है एक शीर्षक
किसी सामंत की तरह
मिट जाती है सबकी पहचान
सब जाने जाते हैं उस शीर्षक से।
दे श में क्रिकेट खेल के 'धर्म' बन जाने के इस काल में भी हमारी उम्र के कुछ ऐसे लोग होंगे जो हॉकी को लेकर आज भी उतने ही नास्टेल्जिक ...
Its awesome
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