1.
सपने काँच की रंग बिरंगी चूड़ियों से नाज़ुक
अभावों की हल्की सी ठसक से
किरिच किरिच
टुकड़ों टुकड़ों में
बिखर बिखर जाते।
2.
सपने मन के आसमान में
रंग बिरंगी पतंगों से
बिंदास बिंदास से
ऊँचे ऊँचे उड़ते जाते
ग़म के हलके से झोंके से
फटे फटे से काग़ज की तरह
ज़मीन पर पड़े पड़े
नज़र आते।
3.
सपने रंग बिरंगे गुब्बारो जैसे
आशाओं की हवाओं से
बड़े बड़े हो आसमान की ओर जाते
रंज़ की हल्की सी नोक से
बिंध बिंध कर
ज़मीन पर बिखर बिखर जाते।
4.
सपने दुःख के बादलों से
काले काले होते जाते
उनके छंटते ही
आशाओं की बूँदो के पार
इंद्रधनुष बनाते।
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