1.
आशा भरी सुबहें
विश्वास से लिपटी शामें
मस्ती भरे दिन
चैन से कटती रातें
2.
उम्मीदों की नदी
दुखों के पहाड़ का सीना चीर कर
सुखों के मैदानों को सींचती
जा मिलेगी
आनंद के असीम सागर में !
3.
यूँ ही नहीं कहा शैली ने
कि सर्द हवाओं के बाद
बहेगी बासंती बयार
इसलिए मेरे दोस्त
मत होना निराश .
दुखों के काले बादल
तो बरस कर चले जाएंगे
तो बरस कर चले जाएंगे
और रह जाएगी सिर्फ सुख की रोशनी
मत घबराना
निराशाओं की स्याह रात से
आशाओं का सवेरा सोख लेगा इस स्याही को
और रह जायेगी उम्मीदों की सुर्ख सफ़ेद चादर
मत घबराना अपने भीतर की कायरता से
तुम्हारे हौसलों की ऊष्मा
जलाकर कर देगी राख़
सारी कायरता को
सारी कायरता को
और निर्मित कर देगी तुम्हारे भीतर एक ऐसा संसार
जहाँ होंगे
बिंदास ठहाके
खनखनाती हसीं
मंद मंद मुस्कान
उम्मीद ही उम्मीद
आशा का सागर
रोशनी का सूरज
और कहीं दूर खड़े दुःख
उस पर कर रहे होंगे रश्क़ !
4.
क्या दूँ दोस्त तुम्हें
इस नए साल के मुबारक मौके पर
थोड़ी सी धूप कड़कड़ाती सर्दी के लिए
थोड़ी सी छाँव चिलचिलाती गर्मी के लिए
थोड़ी सी छत घनघोर बारिश के लिए
थोड़ी सी बूंदे तपते रेगिस्तान के लिए
थोड़ी सी नींद बेचैन रातों के लिए
थोड़ी सी फुर्सत दौड़ते भागते दिन के लिए
थोड़ी सी आस निराश जिंदगी के लिए
थोड़ी सी हँसी उदास लम्हों के लिए
थोड़ी सी खुशी ग़मों के सागर के लिए
थोड़ा सा प्यार नफरतों की बारिश के लिए
थोडा सा साहस अन्याय से लड़ने को
थोड़ी सी रोशनी घोर अंधेरे के लिए
ये 'थोड़ा थोड़ा' सा ही 'बहुत सा' वाले समय में
ये थोड़ा तुम्हारे पास रहे
ये थोड़ा मेरे पास रहे
बस इस थोड़े से ही अच्छे से उम्र कटे।
क्या दूँ दोस्त तुम्हें
इस नए साल के मुबारक मौके पर
थोड़ी सी धूप कड़कड़ाती सर्दी के लिए
थोड़ी सी छाँव चिलचिलाती गर्मी के लिए
थोड़ी सी छत घनघोर बारिश के लिए
थोड़ी सी बूंदे तपते रेगिस्तान के लिए
थोड़ी सी नींद बेचैन रातों के लिए
थोड़ी सी फुर्सत दौड़ते भागते दिन के लिए
थोड़ी सी आस निराश जिंदगी के लिए
थोड़ी सी हँसी उदास लम्हों के लिए
थोड़ी सी खुशी ग़मों के सागर के लिए
थोड़ा सा प्यार नफरतों की बारिश के लिए
थोडा सा साहस अन्याय से लड़ने को
थोड़ी सी रोशनी घोर अंधेरे के लिए
ये 'थोड़ा थोड़ा' सा ही 'बहुत सा' वाले समय में
ये थोड़ा तुम्हारे पास रहे
ये थोड़ा मेरे पास रहे
बस इस थोड़े से ही अच्छे से उम्र कटे।
रम्य रचना |आभार सर जी |
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