खेल मैदान की अभी हाल की तीन खबरें-सानिया मिर्ज़ा के शानदार खेल जीवन का समापन,विनेश फोगाट की बगावत और अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय लड़कियों की जीत,इस बात की ताईद करती हैं कि देश बदल रहा हो या नहीं, समाज बदल रहा हो या नहीं, पर लड़कियां बदल रही हैं,उनकी सोच बदल रही है और उनकी ज़िंदगी बदल रही है।
अब लड़कियों के हाथों को चूल्हा,चौका और चूड़ियां नहीं रुचती
बल्कि बैट और बॉल शोभते हैं,रैकेट शोभते हैं, मैट और मैदान शोभते हैं।
पहले अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली लड़कियों की चेहरों पर फैली खुशी देखिए और फिर उनके जीवन में झांकिए,तो आपको पता चलेगा कि ये सफलता लड़कियों की लगन,उनके परिश्रम,उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति,कठिन और विपरीत परिस्थितियों में भी हार ना मानने का जज़्बा और सबसे ऊपर उनकी नई और बदलती का परिणाम है।
उन लड़कियों में एक मन्नत है। गांव चिल ज़िला पटियाला। खेलने के लिए पैसा पास नहीं। लड़कों की कोचिंग में जुगाड़ हुई तो लड़के साथ खिलाने को तैयार नहीं। पर उसने हार नहीं मानी। अड़ी रही। कोचिंग जाती रही। अब वो टीम की 'जोंटी रोड्स'है।
एक और लड़की है सोनम यादव। उम्र केवल 15 साल। पिता मजदूर। पता ज़िला फिरोजाबाद,उत्तर प्रदेश। देश दुनिया की लड़कियों की कलाइयों को सजाने वाली चूड़ियां बनाने के लिए विश्व प्रसिद्ध शहर की इस लड़की को कांच की चूड़ियों की जगह रास गुगली। जीवन की पिच पर भी और खेल की पिच पर भी।
एक लड़की है फलक नाज़। संगम नगरी प्रयागराज की ही नहीं देश की शान बन चुकी है अब। चपरासी पिता ने नाज़ों से पाला पर नाजुक नहीं बनाया। उसकी तेज गेंदें विपक्षी बल्लेबाजों पर कहर बरपाती हैं।
इस लड़की का नाम है अर्चना। पता ग्राम रतई पुरवा ज़िला उन्नाव। पिता बचपन में छोड़ बस चले। मां ने हार नहीं मानी। नतीजा विश्व विजेता भारतीय टीम की जान।
एक लड़की दिल्ली की-श्वेता सहरावत। वॉलीबॉल,बैडमिंटन,स्केटिंग तक में हाथ आजमाया। पर रास आया क्रिकेट। नतीजा विश्व कप में 140 की स्ट्राइक और 99 की औसत से सर्वाधिक 297 रन।
भोपाल की सौम्या तिवारी। कपड़े धोने की थपकी से गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलने से लेकर भारतीय टीम के उपकप्तान का सफर करने वाली लड़की। एक योद्धा लड़की। कोच द्वारा कोचिंग देने से इनकार करने पर भी हार ना मानने वाली लड़की। नतीजा विश्व कप के फाइनल में विजयी रन बनाने वाली बैटर।
और अंत में, कप्तान शेफाली वर्मा। 15 साल और 285 दिन की सबसे कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय अर्धशतक बना कर सचिन का रिकॉर्ड तोड़ने वाली लड़की। अंडर 19 विश्व कप,सीनियर विश्व कप और राष्ट्रमंडल प्रतियोगिता के फाइनल में खेलने वाली अकेली खिलाड़ी।
छोटी छोटी लड़कियों की ये छोटी छोटी कहानियां उनके बड़े बड़े सपनों और बड़े बड़े संघर्षों की कहानियां हैं। ये छोटी छोटी जगहों की छोटी छोटी कहानियां सफलता का इतना बड़ा संसार रचती हैं कि उन्हें खुद भी कहाँ विश्वास हो पाता होगा। क्या पता उनका खुद का रचा संसार उन्हें ही 'लार्जर दैन लाइफ' प्रतीत होता हो।
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और हां, भारत में दो लड़कियों के एक पिता को लड़कियों की ये सफलता बरसात की पहली फुहार की भीगी भीगी रेशम सी मुलामियत का अहसास ना कराती होगी तो और क्या कराती होगी।
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