'कोई भी जीत आपके आशीर्वाद के बिना अधूरी है।'
निखत ज़रीन के ये शब्द उनके हाल में जीते स्वर्ण पदक की चमक को इस कदर बढ़ा देते हैं कि उसकी चमक में सारे गिले-शिकवे,अहम, ईर्ष्या,राग-द्वेष सब घुल जाते हैं।
निसंदेह निखत की जीत बड़ी है। लेकिन निखत के ये शब्द उसकी जीत को बहुत बहुत बड़ा बना देते हैं।
दरअसल ये खेल ही है जो खिलाड़ी को थोड़ा ज्यादा विनम्र बनाते हैं,उसे कुछ और ज़्यादा झुकना सिखाते हैं,उसे थोड़ा अधिक मनुष्य बनाते हैं।
इन शब्दों ने एक बार फिर सिद्ध किया कि हमारे जीवन के सद्भावना, मैत्री, प्रेम और सहयोग के सबसे ख़ूबसूरत दृश्य खेल मैदानों से ही आते हैं।
---------------
निखत को और उसकी खेल भावना को सलाम।
No comments:
Post a Comment