Friday, 25 September 2020

अलविदा प्रोफेसर डीनो!

 



पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट खिलाड़ी डीन मर्विन जोंस उर्फ प्रोफेसर डीनो ने 59 साल की उम्र में आज इस संसार को अलविदा कह दिया। एकदम अचानक से। मानो अचानक से लोगों को चकित करना उनका शगल हो। याद कीजिए ऑस्ट्रेलिया टीम का 1994 का दक्षिण अफ्रीका का दौरा। आठ मैचों की सीरीज में ऑस्ट्रेलिया 3 मैचों के मुकाबले चार मैचों से पीछे थी। आखिरी मैच में डीन जोन्स को टीम में नहीं चुना गया। और इस सीरीज का सातवां मैच उनके करियर का अंतिम मैच सिद्ध हुआ। उन्होंने सफेद गेंद की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अचानक से अलविदा कह इसी तरह दुनिया को चौंका दिया था।

यूं तो वे लाल गेंद से भी कम नहीं खेले। उन्होंने कुल 52 टेस्ट मैच खेले। पर वे सफेद गेंद के चैंपियन खिलाड़ी थे। वे उन खिलाड़ियों में शुमार हैं जिन्होंने अस्सी के दशक में सफेद गेंद के एकदिनी क्रिकेट की सूरत को बदल दिया। आजकल क्रिकेट खिलाड़ी मैदान में जो रंगीन चश्मा पहनते हैं वो दरअसल उनकी ही देन है। वे बहुत आक्रामक खिलाड़ी थे। गेंद पर ताबड़तोड़ प्रहार,विकेटों के बीच तीव्र गति से दौड़ और मैदान में शानदार फील्डिंग के लिए जाने जाते हैं। ऐसा करने वाले वे चुनिंदा प्रारंभिक खिलाड़ियों में से थे। वे 1989 से 1992 तक लगातार चार साल सफेद गेंद के नंबर एक खिलाड़ी रहे।
विक्टोरिया के कोबर्ग में 23 मार्च 1961 को जन्मे दांए हाथ के बल्लेबाज और ऑफ स्पिनर डीन जोन्स ने अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर का प्रारंभ एकदिनी क्रिकेट से जनवरी 1984 में पाकिस्तान के खिलाफ किया और कुछ ही दिन बाद मार्च 1984 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट मैच में। टेस्ट मैच में कैरियर का समापन श्रीलंका के खिलाफ सितंबर 1992 में और एकदिनी क्रिकेट में दो साल बाद अप्रैल 1994 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ। इस तरह 11 साल के अंतरराष्ट्रीय कैरियर के दौरान उन्होंने 52 टेस्ट मैच खेले जिनमें 11 शतक और 14 अर्द्ध शतकों की सहायता से 3631 रन बनाए और एक विकेट भी लिया। जबकि एकदिनी क्रिकेट में 164 मैचों में 7 शतक और 46 अर्द्ध शतकों की सहायता से 44.61 की औसत से 6068 रन बनाए और 3 विकेट भी लिए। टेस्ट मैच में उन्होंने दो शानदार मैराथन पारियों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। 1986 में चेन्नई में भारत के विरुद्ध अनिर्णीत मैच में भीषण गर्मी और उमस भरे वातावरण में 210 रनों की पारी और 1989 में एडिलेड में वेस्टइंडीज के विरुद्ध 216 रनों की कैरियर बेस्ट पारी।
खेल से सन्यास लेने के बाद उन्होंने कोचिंग और कमेंट्री में हाथ आजमाया। और कमेंट्री में तो उन्होंने बहुत नाम कमाया। वे इस समय भी मुम्बई में स्टार स्पोर्ट्स के लिए आईपीएल की ऑफ ट्यूब कमेंट्री के लिए ही थे। वे अपनी खरी खरी बातों के लिए जाने जाते थे। शायद इसीलिए वे अक्सर विवादों में रहते। वे दो विवादों के लिए बेहद चर्चित रहे। 1993 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध सिडनी में कर्टली एम्ब्रोस से उन्होंने सफेद रिस्ट बैंड उतारने के लिए बोला। इससे क्रुद्ध होकर एम्ब्रोस ने पूरी सीरीज में जबरदस्त गेंदबाजी की। उस मैच में उन्होंने 32 रन पर 5 विकेट लिए। अगले एडिलेड मैच में 10 विकेट और आखरी पर्थ मैच में प्रसिद्ध स्पैल किया जिसमें 1 रन देकर सात विकेट लिए। इसके बाद 2006 में कमेंट्री करते हुए दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाज़ हाशिम अमला को आतंकवादी कहने के कारण उनकी बहुत आलोचना हुई।
जो भी हो वे एक दिनी क्रिकेट के अपने समय के सबसे शानदार खिलाड़ी के रूप में, सफेद बॉल क्रिकेट में नए ट्रेंड्स लाने वाले खिलाड़ी के रूप में और एक शानदार व बिंदास कमेंटेटर के रूप में हमेशा याद किये जायेंगे।
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अलविदा प्रोफेसर डीनो!



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