1.
इस पतझड़
तेरी याद
झर रही हैं
सूखते पत्तों की तरह
बस एक चिंगारी काफ़ी है
तेरे दीदार की
शोला भड़काने को।
2.
इस पतझड़
तेरी याद से
कुरेदे हुए कुछ ज़ख्म
सूख रहे हैं
और कुछ ख्म हरे हो रहे हैं
तेरी बिसरी यादों से।
ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...
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