Sunday 29 March 2015

लम्हे




 ये लम्हे यूँ ही गुज़र जाएं
 तो अच्छा
 न तुम कुछ कहो
 ना मैं कुछ कहूँ
 बस धड़कने धड़कनों को सुनें
 ये लम्हे यूँ ही सदियों में बदल जाएं
 तो अच्छा । 

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