ये लम्हे यूँ ही गुज़र जाएं
तो अच्छा
न तुम कुछ कहो
ना मैं कुछ कहूँ
बस धड़कने धड़कनों को सुनें
ये लम्हे यूँ ही सदियों में बदल जाएं
तो अच्छा ।
ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...
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