Friday, 15 November 2013

विदा सचिन !!!




15 नवम्बर 2013। मुम्बई का वानखेड़े स्टेडियम। समय दिन के लगभग दस बजकर चालीस मिनट।ड्रिंक्स के बाद का पहला ओवर। देवनारायण की गेंद। सचिन के बल्ले का एज लगा। कप्तान सैमी ने कैच पकड़ने में कोई गलती  नहीं की। सचिन आउट। सचिन की आखिरी इनिंग समाप्त। पूरा स्टेडियम स्तब्ध। सचिन वापस पवैलियन लौट रहे हैं। पूरा स्टेडियम खड़े होकर उन्हें विदा कर रहा था। 24 साल पहले 1989 को करांची से जो कहानी शुरू हुई थी आज उसका समापन हो रहा था। सचिन ने 12 चौकों की मदद से 118 गेंदों में 74 रन बनाये।

                   सचिन ने अपनी  इनिंग कल शुरू की थी। कल 38 बनाकर नॉट आउट थे। आज जिस तरह से खेल रहे थे लगा बड़ा स्कोर करेंगे। आज का खेल पुजारा ने शुरू किया। सिंगल लेकर स्ट्राइक सचिन को दी। अब पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रहा था।  जल्द ही सचिन ने शिलिंगफोर्ड को दो चौके मारे। स्कोर 47 हुआ। फिर शिलिंगफोर्ड पर सिंगल लिया। स्कोर 48 हुआ। इसके बाद टीनो बेस्ट की गेंद पर अपना ट्रेडमार्क स्ट्रेट ड्राइव कर चौका लगाकर अपना 68 वाँ अर्ध शतक पूरा किया।

                     सचिन जबर्दस्त क्रिकेट खेल रहे थे। वे जानते थे कि वे 40 हज़ार दर्शक स्टेडियम में और करोड़ों टी वी पर उन्हें आखिरी बार खेलते देख रहे हैं। वे अपना बेस्ट देना चाहते थे। वे एक एक क्षण को जी लेना चाहते थे। ठीक वैसे ही जैसे दर्शक इस इनिंग को हमेशा हमेशा के लिए यादगार बना लेना चाहते थे। अपने 24 साल का सारा अनुभव इस इनिंग उड़ेल दिया था। 24 सालों के सारे खेल को इस एक इनिंग में भर देना चाहते थे। दर्शकों की दीवानगी के बीच एकाग्रचित होकर अपनी पारी को आगे बढ़ा रहे थे। 60 पार किया। 70 पर पहुँचे। अब लगने लगा था सचिन की 101वीं सेंचुरी बना लेंगे। पर विधान को कुछ और ही मंजूर था। 74 पर देवनारायण ने 24 साल पुरानी लम्बी यात्रा पर आखिरकार विराम लगा दिया। ये वकार युनुस से करांची में शुरू हुए दुनिया भर के गेंदबाजों के लिए दुःस्वप्न का अन्त था।

  सचिन आज के बाद तुम मैदान पर क्रिकेट खेलते नज़र नहीं आओगे। अब तुम्हारा नए सिरे से मूल्यांकन   होगा। तुम्हारे कैरियर की चीर फाड़ होगी। तुम्हे भगवान बताया जायेगा। तुम्हे महान बताया जायेगा। तुम्हारी आलोचना भी होगी। पर इन सब से तुम वापस खेलने मैदान पर तो  नहीं आओगे। और अगर तुम मैदान पर नहीं भी दिखाई दोगे तो भी क्रिकेट तो चलता ही रहेगा ना। भारत जीतता भी रहेगा,हारता भी रहेगा। किसी के खेलने या न खेलने से क्रिकेट पर क्या फ़र्क़ पड़ता है। हाँ फर्क़  पडेगा तो तुम्हारे उन चाहने वालों पर पड़ेगा जिनके लिए क्रिकेट का मतलब ही सचिन होता था। अब उनके लिए क्रिकेट अब वो क्रिकेट नहीं होगी जो तुम्हारे खेलने पर होती थी। अब तुम उनके लिए सिर्फ याद बन कर रहोगे। अब जब भी क्रिकेट की बात होगी तो तुम्हारी याद आएगी। तुम अब उन सब के लिए मानक बन कर उनकी स्मृतियों में बस जाओगे हमेशा के लिए। अब तो जब भी कोई  … 
 _  रन बनाएगा तो याद आयेगा  तुमने टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 15921 रन बनाये हैं। 
             … तो याद आयेगा  तुमने एकदिनी मैचों में सबसे ज्यादा 18426 रन बनाये हैं.
             … तो याद आयेगा  तुमने दोनों में मिलाकर सबसे ज्यादा 34347 रन बनाये हैं
 _  सेंचुरी बनाएगा तो याद आयेगा तुमने शतकों का शतक बनाया है। 
             …  तो याद आयेगा तुमने टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा 51 शतक बनाए है।                 
             …  तो याद आयेगा तुमने एकदिनी मैचों में सबसे ज्यादा 49 शतक बनाए है।
 _  टेस्ट कैप मिलेगी तो तुम याद आओगे तुमने 16 साल की उम्र में पहला टेस्ट खेला।
 _  संन्यास लेगा तो याद आयेगा कि तुमने 200 टेस्ट खेले
 _  याद आयेगा एकदिनी मैचों में पहला दोहरा शतक तुमने ही मारा।
 _  सिक्स मारेगा तो याद आयेगा तुमने शोएब अख्तर को थर्ड मैन के ऊपर सिक्स मारा था।

सिर्फ इतना ही नहीं अब जब भी …
 _  कप्तान किसी खिलाड़ी को कोई नसीहते देगा तो याद आओगे कि साथी खिलाड़ी सचिन जैसा हो
 _  कोई बच्चा क्रिकेट का बात पकड़ेगा तो उस याद आयेगी वो सचिन जैसा बने।
 _  कोच ट्रेनिंग देगा तो उसे तुम याद आओगे कि सचिन जैसा शिष्य हो।

          सच तो ये है तुम्हारी हर बात याद आयेगी ! सचिन भले ही तुम मैदान में ना दिखो। पर अपने फैन्स के दिलों में हमेशा रहोगे। हमेशा उनके दिलों पर राज़ करोगे।विदा सचिन !खेल के मैदान से !! विदा सचिन !!!

(चित्र गूगल से साभार )

1 comment:

  1. सुन्दर आलेख सर |ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है |

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