
(चित्र 2020 का आकाशवाणी देहरादून में आयोजित समन्वय समिति की बैठक के बाद मालदेवता का है)
1.
मुख पुस्तिका की इस भित्ति विशेष पर पिछले दस दिनों ने एक उत्सव चल रहा है। ये उत्सव जीवन के एक पड़ाव की समाप्ति का उत्सव है। नए जीवन में प्रवेश का उत्सव। महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्ति का उत्सव भी और बहुत से चाहे अनचाहे बंधनों से मुक्ति का भी। ये जीवन की सांध्य बेला में प्रवेश करने का उत्सव है। एक अंत का उत्सव है एक आरंभ का उत्सव है। ये 33 सालों की राजकीय सेवा से निवृत होने का उत्सव है। इस उत्सव को हर उस व्यक्ति को देखना और महसूसना चाहिए जो किसी सेवा में है और उसे एक दिन सेवानिवृत होना है।
2.
सेवानिवृति के अंतिम वर्ष/माह/पखवाड़े/सप्ताह में कुछ उदासी,कुछ हताशा,कुछ निसंगता,कुछ बेचैनी,कुछ आशंका और कुछ राहत के साथ निवृति की सरकारी औपचारिकताओं में व्यस्त होते तो लोगों को अक्सर देखा जाता है, लेकिन अपनी सेवानिवृति को उत्सव में बदल देने का ये एक दुर्लभ अवसर है। ये काम कोई ऐसा अकुंठ व्यक्ति ही बदल सकता है जिसने अपने काम को पूरी निष्ठा, तन्मयता, ईमानदारी से लेकिन एक खास तरह के निसंग एटीट्यूड के साथ अंजाम दिया हो। तभी तो जिस सहजता, कर्तव्यनिष्ठा और लगनशीलता से अपनी जिम्मेदारी को पूरा किया, उसी भाव से उससे विदा भी ली जा सकती है।
3.
सुश्री मीनू खरे मैम 33 वर्षों की लंबी सेवा के बाद बीते 30 सितंबर को आकाशवाणी लखनऊ के उपनिदेशक कार्यक्रम के पद से सेवानिवृत हो रही थीं। अपने बहुत सारे नवाचारों और अपने इनोवेटिव कार्यक्रमों की तरह इस अवसर को भी वे अपनी तरह से रच रही थीं। उन्होंने सरकारी औपचारिक रवायत को एक उत्सव में जो तब्दील कर दिया था। ये वे ही कर सकती थीं। उन्होंने किया।
4.
छोटा कद पर एक प्रभावशाली व्यक्तित्व। बहुआयामी। शानदार अधिकारी। संवेदनशील लेखक। आला दर्जे की प्रोग्रामर। बेहतरीन कमेंटेटर। सुप्रसिद्ध लोक गायिका। इन सब से ऊपर एक बहुत ही ज़हीन शख़्सियत। एक व्यक्तित्व जो विज्ञान के विवेक,लोक गीत के हुलास, लेखन की संवेदनशीलता,रेडियो की प्रामाणिकता,कमेंटेटर की सजीवता और संगीत की रागात्मक से निर्मित होता है। ये कोई और नहीं,मीनू खरे मैम हैं।
5.
संस्थाएं और उनमें कार्य करने वाले व्यक्ति दोनों एक दूसरे को समृद्ध करते चलते हैं। ये एक दोतरफा प्रक्रिया है। यदि कोई संस्था एक व्यक्ति को पहचान देती है, तो वो व्यक्ति भी अपनी योग्यता,अपनी काबिलियत,अपनी मेहनत से उस संस्थान की गरिमा को,उसके महत्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मीनू खरे मैम एक ऐसा ही व्यक्तित्व हैं जिन्हें जितनी रेडियो ने उन्हें बनाया,उससे कहीं अधिक उन्होंने अपने कंटेंट से,अपनी काबिलियत से उसे समृद्ध किया।
उन्होंने रेडियो के लिए शानदार कार्यक्रम किए। बदले में रेडियो ने तमाम पुरस्कारों से उस योग्यता को मान्यता दी।
एक रेडियो प्रोग्रामर के रूप में उनके खाते में शानदार उपलब्धियां हैं। उन्होंने अभी जल संरक्षण पर एक साल तक चलने वाला शानदार कार्यक्रम ' बूंदों की ना टूटे लड़ी ' किया। विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए बेहतरीन रेडियो कार्यक्रम किए। सुंदर बाल कार्यक्रम किए। महिला सशक्तिकरण पर कार्यक्रम किए। महत्वपूर्ण अवसरों पर कमेंट्री की तो खेल आयोजन कवर किए और कमेंट्री की।
रेडियो से इतर वे एक संवेदनशील लेखिका हैं और दो कविता संग्रह उनके हिस्से आते हैं। वे लोक संगीत की जानकार हैं और सिद्ध लोक गायिका हैं। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत हैं।
6.
इतनी बड़ी भूमिका भी उस व्यक्तित्व के लिए छोटी है। लेकिन ये इसलिए ज़रूरी है कि कल 30 सितंबर को उनका रेडियो का 33 साल लंबा सफर औपचारिक रूप से समाप्त हुआ।
रेडियो में ब्रॉड़कास्टर के रूप में एक विराट पारी के शानदार समापन की हार्दिक बधाई और जीवन में एक नई पारी की उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं।
(चित्र 1994 का आकाशवाणी वाराणसी संगीत स्टूडियो)
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