Thursday, 3 January 2019

अलविदा पितामह !


अलविदा पितामह !
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भारतीय क्रिकेट के पितामह रमाकांत आचरेकर  का अंतिम प्रयाण निसंदेह भारतीय क्रिकेट जगत के लिए एक बड़े दुःख की घड़ी है। लेकिन क्या ही संयोग है कि इस दुःख की बेला में ही भारतीय गुरु शिष्य परम्परा के खूबसूरत और मार्मिक दृश्य संभव हो पाते हैं। दरअसल ईश्वर मानव की अपनी कृति है जिसे वो अपनी कल्पना में इस मंशा से रचता है कि इहलौकिक जीवन से आगे पारलौकिक जीवन को सुखी और निरापद बना सके। लेकिन आचरेकर ने एक कदम और आगे जाकर एक वास्तविक ईश्वर को गढ़ा। शायद इस उम्मीद के साथ कि जब वो इस दुनिया से प्रयाण करेंगे तो वो ईश्वर उनके  पार्थिव शरीर को कंधा देकर जीवन  की अनंत यात्रा को सहज,सरल और निरापद बनाएगा। और जब उस ईश्वर ने अपने रचनाकार के पार्थिव शरीर का बोझ अपने काँधे धरा होगा तो उस अप्रतिम रचनाकार की आत्मा की आँखों से नेह की अमृत बूँदें बरस रही होंगी और वो अपार संतोष की अनुभूति से बादलों की तरह हलका महसूसते हुए अनंत में विलीन हो गयी होगी।
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अलविदा पितामह रमाकांत आचरेकर !  

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