जीना
कुछ चीजें बहुत कठिन होते हुए भी
बेहद सरल होती हैं
और
सरल सी चीजें उतनी ही कठिन
जैसे समझना
कि
कुछ उन्मुक्त खिलखिलाहटें
दिल के आसमा को
उजास से भर जाती हैं
कि
स्निग्ध से कुछ शब्द
अभिव्यक्ति को
नए अर्थों से भर देते हैं
कि
मदमाती देह गंध
मन में घुल कर
मुलामियत का
अहसास जगाती हैं
कि
कोई उजली सी आस
सपनों की दुनिया में
खो जाने देती है
कि
स्नेह का मीठा सा स्पर्श
पूरे वज़ूद को ही
स्पंदित कर जाता है
गर ना हो ऐसा
तो जीना भी क्या जीना है
साँसों का आना जाना
तो बस एक जैविक क्रिया का
होना है।
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अक्सर आसान चीजें कठिन और कठिन चीजें आसान सी क्यूँ लगती हैं ?
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