ताजमहल को देख समझ आता है
कितना मुश्किल है एक शब्द को
आकार दे पाना
लैला मजनू ,हीर रांझा ,शीरी फरहाद के किस्से पढ़ समझ आता है
कितना मुश्किल है एक शब्द को
निभा पाना
पद्मावती के जौहर को जान समझ आता है
कितना मुश्किल है एक शब्द से
गीलेपन को सोख पाना
खाप पंचायतों के फतवों को सुन समझ आता है
कितना मुश्किल है एक शब्द को
जी पाना
फिर भी ज़ुर्रत होती है
एक शब्द को गले लगा पाने की
आओ
मैं और तुम भी करें वही ज़ुर्रत
हम भी एक शब्द को दें
आकार
विस्तार
छुअन
कुछ रंग
जीवन
और लिख दें ज़िंदगी पर एक शब्द
प्रेम।
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