Saturday, 23 January 2016

इस सर्द




इस सर्द मौसम
तेरी याद की
भीनी भीनी खुशबू 
घुल रही है सांसों में 
नरम नरम धूप के 
अहसास सी



समय की धार से 
मन के उस पार 
संघनित होती जाती 
धुंध सी उदासी
आहिस्ता आहिस्ता
उड़ती जाती
भाप सी।

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यादों का मौसम से कोई रिश्ता तो नहीं

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