Saturday, 1 November 2025

कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते हैं।

 


ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है। 

कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते हैं।

याद कीजिए विराट कोहली को। उनके पास सब कुछ था। अगर कुछ नहीं था तो एक अदद आईपीएल ट्रॉफी नहीं थी। 2025 का सीजन आया और रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु ने आईपीएल जीत लिया। एक अधूरी साध पूरी हुई।

35 साल के सुरजीत नरवाल के पास भी क्या कुछ नहीं था। देश के सबसे बेहतरीन डिफेंडर में उनका नाम था। दो एशियाई गोल्ड मेडल थे। इससे पहले प्रो कबड्डी के नौ सत्र वे खेल चुके थे। आंकड़ों के हिसाब से दूसरे सबसे बेहतरीन डिफेंडर। फजल अत्रिचल के बाद सबसे ज्यादा टैकल प्वाइंट। पांच सौ का आंकड़ा छूते हुए। इस दौरान पुनेरी पलटन और बेंगलुरु बुल्स के कप्तान भी रहे।

लेकिन इतना होने के बावजूद अगर उनके पास कुछ नहीं था तो नौ सीजन खेलने के बावजूद कोई खिताब उनके नाम नहीं था। यहां तक कि कोई फाइनल भी उन्हें नसीब ना हुआ।

तब साल 2025 का प्रो कबड्डी का 12वां सत्र आया। दबंग दिल्ली से जुड़े और एक अपूर्ण इच्छा पूर्णता में बदल गई। एक सपना साकार हुआ। एक खिताब उनके माथे सजा। एक ट्रॉफी उनके हाथ सजी। एक ट्रॉफी को उनके होठों ने स्पर्श किया।

आज फाइनल में दबंग दिल्ली ने एक रोमांचक मैच में पुनेरी पलटन को 30-28 अंकों से परास्त कर अपना दूसरा खिताब जीता और टीम ने इस खिताब को सुरजीत को समर्पित कर दिया।

सुरजीत विशेषज्ञ राइट कवर डिफेंडर हैं और अपनी आक्रामकता और अग्रिम टैकल के लिए जाने जाते हैं। डैश उनका सिग्नेचर मूव है जिसमें वे निर्णायक तरीके से रेडर को कोर्ट से बाहर धकेल कर आउट कर देते हैं। वे लीग के सबसे शानदार रक्षात्मक खिलाड़ियों में से एक हैं। वे अब तक 34 हाई फाइव और 26 सुपर टैकल कर चुके हैं।

कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते हैं।

सुरजीत को पहला खिताब मुबारक और दबंग दिल्ली को अपना दूसरा।

कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते हैं।

  ये खेल सत्र मानो कुछ खिलाड़ियों की दीर्घावधि से लंबित पड़ी अधूरी इच्छाओं के पूर्ण होने का सत्र है।  कुछ सपने देर से पूरे होते हैं,पर होते ...