Saturday, 7 June 2025

फरगाना का जश्न

 


क्रिकेट का फटाफट स्वरूप उत्तेजना और मजा तो उत्पन्न कर सकता है,पर खेल का वास्तविक आनन्द प्रदान नहीं कर सकता। विश्व कप या देशों की द्विपक्षीय श्रृंखलाएं तो फिर भी रुचि उत्पन्न कर सकती हैं,पर आईपीएल कतई नहीं। 

इसीलिए जिस समय अपना सबसे पसंदीदा  खिलाड़ी 18 साल के एक सपने को पूरा करने की जद्दोजहद में था,अपन की रुचि उसे देखने के बनिस्बत एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण खेल प्रतियोगिता में थी। और कमाल ये कि भारतीय टीम ने निराश नहीं किया।

फरगाना नाम कितने लोग जानते हैं, ये तो पता नहीं,लेकिन इतिहास के जानकार भी और शायद बाबर में रुचि रखने वाले जरूर जानते होंगे कि ये बाबर की पैतृक रियासत थी और इसी से होते हुए एक दिन बाबर ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। तो उस दिन इसी फ़रगाना शहर में भारतीय खिलाड़ी  वॉलीबॉल के कोर्ट में शानदार खेल दिखा रहे थे और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर रहे थे।

इस शहर में तीन जून को सेंट्रल एशियन वॉलीबॉल एसोसिएशन नेशंस लीग के सेमीफाइनल्स खेले जा रहे थे। ऐन उस दिन जब बेंगलुरु और विराट कोहली 18 साल में अपना पहला आईपीएल खिताब जीत रहे थे, भारतीय पुरुष वॉलीबॉल टीम कजाकिस्तान की टीम को रोमांचक मैच में दो के मुकाबले तीन सेटों से हराकर इस प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश कर रही थी। 114 मिनट तक पांच सेटों तक चलने वाला ये मैच भारत ने 26-24,19-25,23-25,25-21,15-13 से जीता।

इस मैच के हीरो रहे सुरेश कुमार चीरा जिन्होंने कुल 26 अंकों का योगदान दिया। उन्होंने शानदार ऑफेंस के साथ साथ शानदार डिफेंस का भी प्रदर्शन किया। इसके अलावा जॉन जोझेफ इनाथु, विनीथ कुमार, जेरोम विनीथ और कप्तान असवाल राय ने भी शानदार खेल दिखाया।

लेकिन भारत ने उससे भी महत्वपूर्ण मैच 02 जून को खेला। उस दिन उसने दो बार के चैंपियन पाकिस्तान को सीधे तीन सेटों में 25-13,25-15,25-23 से हरा दिया। इस मैच में भारत ने शुरुआत में मैच कितने सेट कर दी और नेट पर आक्रामक खेल से पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया। भारत की और से इस मैच में जे विनीत चार्ल्स और अश्वाल राय ने बेहतरीन खेल दिखाया।पाकिस्तान की टीम केवल तीसरे सेट में संघर्ष कर सकी। लेकिन उस समय तक देर हो चुकी थी। पाकिस्तान की टीम अधिक ऊंची रैंकिंग वाली टीम थी। ये जीत इसलिए भी उल्लेखनीय है कि दो साल पहले इसी प्रतियोगिता में भारत को उसने तीन सीधे सेटों में हरा दिया था। 

लेकिन चार जून को खेले गए फाइनल में भारतीय टीम अपनी लय बरकरार नहीं रख पाई और एशिया की नंबर दो टीम ईरान से तीन सीधे सेटों में    17-25,20-25,19-25 से हार गई। 

इस प्रतियोगिता में पहली बार भारत ने की पदक जीता था।  इस सफलता में भारत के मुख्य कोच सर्बिया के ड्रैगन मिहेलोविक का भी योगदान है जिनके नेतृत्व में टीम संगठित हाे रही है। 

इससे पहले दो साल पहले चीन के हांगजू में हुए एशियाई खेलों में भी भारत ने शानदार प्रदर्शन किया था। यहां पर भारतीय टीम ने छठा स्थान प्राप्त किया था और इस सफर में उसने दो बार की चैंपियन दक्षिण कोरिया और एक बार की कांस्य पदक विजेता चीनी ताइपे की टीम को भी हराया था। इससे चार साल पहले एशियाई खेलों में भारतीय टीम को 12वाँ स्थान मिला था।

पिछले दो सालों में दो प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन से भारतीय वॉलीबॉल टीम ने ये दिखाया कि वो एक क्षमतावान टीम है और भविष्य के चैंपियन की संभावना उसमें छिपी है। 

लेकिन दिक्कत ये है भारतीय टीम को वो स्वस्थ वातावरण नहीं मिल पा रहा है जिसकी जरूरत एक चैंपियन टीम को होती है। इस समय भारतीय वॉलीबॉल संघ निलंबित है और वॉलीबॉल प्रशासन

भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा निर्मित तदर्थ समिति के हाथों में है। वॉलीबॉल संघ में पदाधिकारियों के अहम और स्वार्थों की लड़ाई में अंततः नुकसान खेल का ही हो रहा है।

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