आज मेलबोर्न क्लब के रोड लेवर एरीना में रोज़र फेडरर और राफेल नडाल के बीच खेला गया मैच 'ऑस्ट्रेलियन ओपन 2017' का एक फाइनल मैच भर नहीं था बल्कि 1968 से शुरू ओपन इरा के दो महानतम खिलाडियों की पहली और दूसरी पायदान निर्धारित करने वाला मैच भी था।यहाँ फ़्लेक्सी कुशन की कृत्रिम नीली सतह पर एक अविस्मरणीय और शानदार यथार्थ घटित हो रहा था जिसे लाखों लोग दम साधे सजीव मैदान पर या अपने टीवी पर देख रहे थे।टेनिस इतिहास के दो सबसे बड़े खिलाड़ी आमने सामने थे।इसीलिये जितना बड़ा मैच था उतना ही शानदार खेला भी गया जिसमें टेनिस खेल अपनी सम्पूर्णता में उपस्थित था अपने हर शॉट के साथ,पूरी कलात्मकता के साथ,संघर्ष और रोमांच के साथ,अपनी परम्परा और खेल भावना के साथ। दोनों खिलाड़ी एक नया इतिहास रचने को तैयार थे। राफा जीतने पर चारों ग्रैंड स्लैम दो दो बार जीतने वाले अकेले खिलाड़ी बनते तो फेड अपने 17 खिताबों की संख्या 18 तक पहुंचा कर अपने रिकॉर्ड को और अधिक अप्राप्य दुष्कर बनाते। अंततः फेड सफल हुए। हांलाकि ये दोनों प्रतिद्वंदी यूरोप से थे लेकिन दोनों दो विपरीत ध्रुवों वाले खिलाड़ी हैं खेल शैली में भी और चरित्र में भी। जहां फेड अपने चेहरे मोहरे,अपने वस्त्र विन्यास और शांत सहज और कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और संयम की प्रतिमूर्ति से किसी कुलीन वर्ग के लगते वही राफा अपने चेहरे मोहरे,वस्त्र विन्यास और अपने चपल,चंचल,अधीर स्वभाव जिसमें हर शॉट पर ज़ोर से आवाज़ करना और हर हारे या जीते पॉइंट पर प्रतिक्रिया करते मुझे मध्य वर्ग के प्रतिनिधि से प्रतीत होते। फेड को तेज़ सतह रास आती तो राफा धीमी सतह के बेताज़ बादशाह थे। फेड सर्व और वोली के खिलाड़ी थे जो खेल को कोर्ट के मध्य भाग से या नेट से नियंत्रित करते तो राफा बेसलाइन के खिलाड़ी थे जो अपनी गति और चपलता से प्रतिद्वंदी को हराते।आज यदि पिछले आंकड़े और उम्र राफा के साथ थी तो सेमीफाइनल मैच की राफा की थकान और तेज कृत्रिम सतह फेड के साथ। हार जीत इस बात पर निर्भर थी कौन किस के खेल पर नियंत्रण कर पाता है। जब जब राफा ने फेड को कोर्ट पर डीप में धकेला फेड साधारण प्रतीत हुए और तब राफा की टॉपस्पिन सरसराती तेज वोली का फेड के पास कोई जवाब नहीं था और जब जब फेड मध्य कोर्ट से खेलने में सक्षम हुए उनके तीखे कोणीय क्रॉसकोर्ट और डाउन द लाइन शॉट्स का रफा के पास कोई जवाब नहीं था। जो भी हो 35 वर्ष की उम्र में लगभग 5 साल बाद ग्रैंड स्लैम जीतना अपने आप में फेड की असाधारण उपलब्धि है। जरूर ही आज स्विट्ज़रलैंड के ध्वज का सफ़ेद रंग फेड की आँखों से छलके पानी की मिठास से कुछ और शुभ्र और लाल रंग कुछ और रक्तिम हुआ होगा और राफा के मन के अंदर दुःख के समंदर के पानी के नमक से,जो भले ही आँखों के रास्ते बहार ना आया हो,स्पेन के ध्वज का पीला लाल रंग फीका फीका सा हुआ होगा।
Sunday 29 January 2017
ऑस्ट्रेलियन ओपन 2017
आज मेलबोर्न क्लब के रोड लेवर एरीना में रोज़र फेडरर और राफेल नडाल के बीच खेला गया मैच 'ऑस्ट्रेलियन ओपन 2017' का एक फाइनल मैच भर नहीं था बल्कि 1968 से शुरू ओपन इरा के दो महानतम खिलाडियों की पहली और दूसरी पायदान निर्धारित करने वाला मैच भी था।यहाँ फ़्लेक्सी कुशन की कृत्रिम नीली सतह पर एक अविस्मरणीय और शानदार यथार्थ घटित हो रहा था जिसे लाखों लोग दम साधे सजीव मैदान पर या अपने टीवी पर देख रहे थे।टेनिस इतिहास के दो सबसे बड़े खिलाड़ी आमने सामने थे।इसीलिये जितना बड़ा मैच था उतना ही शानदार खेला भी गया जिसमें टेनिस खेल अपनी सम्पूर्णता में उपस्थित था अपने हर शॉट के साथ,पूरी कलात्मकता के साथ,संघर्ष और रोमांच के साथ,अपनी परम्परा और खेल भावना के साथ। दोनों खिलाड़ी एक नया इतिहास रचने को तैयार थे। राफा जीतने पर चारों ग्रैंड स्लैम दो दो बार जीतने वाले अकेले खिलाड़ी बनते तो फेड अपने 17 खिताबों की संख्या 18 तक पहुंचा कर अपने रिकॉर्ड को और अधिक अप्राप्य दुष्कर बनाते। अंततः फेड सफल हुए। हांलाकि ये दोनों प्रतिद्वंदी यूरोप से थे लेकिन दोनों दो विपरीत ध्रुवों वाले खिलाड़ी हैं खेल शैली में भी और चरित्र में भी। जहां फेड अपने चेहरे मोहरे,अपने वस्त्र विन्यास और शांत सहज और कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और संयम की प्रतिमूर्ति से किसी कुलीन वर्ग के लगते वही राफा अपने चेहरे मोहरे,वस्त्र विन्यास और अपने चपल,चंचल,अधीर स्वभाव जिसमें हर शॉट पर ज़ोर से आवाज़ करना और हर हारे या जीते पॉइंट पर प्रतिक्रिया करते मुझे मध्य वर्ग के प्रतिनिधि से प्रतीत होते। फेड को तेज़ सतह रास आती तो राफा धीमी सतह के बेताज़ बादशाह थे। फेड सर्व और वोली के खिलाड़ी थे जो खेल को कोर्ट के मध्य भाग से या नेट से नियंत्रित करते तो राफा बेसलाइन के खिलाड़ी थे जो अपनी गति और चपलता से प्रतिद्वंदी को हराते।आज यदि पिछले आंकड़े और उम्र राफा के साथ थी तो सेमीफाइनल मैच की राफा की थकान और तेज कृत्रिम सतह फेड के साथ। हार जीत इस बात पर निर्भर थी कौन किस के खेल पर नियंत्रण कर पाता है। जब जब राफा ने फेड को कोर्ट पर डीप में धकेला फेड साधारण प्रतीत हुए और तब राफा की टॉपस्पिन सरसराती तेज वोली का फेड के पास कोई जवाब नहीं था और जब जब फेड मध्य कोर्ट से खेलने में सक्षम हुए उनके तीखे कोणीय क्रॉसकोर्ट और डाउन द लाइन शॉट्स का रफा के पास कोई जवाब नहीं था। जो भी हो 35 वर्ष की उम्र में लगभग 5 साल बाद ग्रैंड स्लैम जीतना अपने आप में फेड की असाधारण उपलब्धि है। जरूर ही आज स्विट्ज़रलैंड के ध्वज का सफ़ेद रंग फेड की आँखों से छलके पानी की मिठास से कुछ और शुभ्र और लाल रंग कुछ और रक्तिम हुआ होगा और राफा के मन के अंदर दुःख के समंदर के पानी के नमक से,जो भले ही आँखों के रास्ते बहार ना आया हो,स्पेन के ध्वज का पीला लाल रंग फीका फीका सा हुआ होगा।
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