Saturday, 29 December 2018

आर्ची शिलर के बहाने


आर्ची शिलर के बहाने
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आज जब समय खुद आवारा और बदचलन हो गया हो,दुष्टता उसके स्वभाव में रच बस गयी हो,वो खुद ही अच्छाई को मिटाने में व्यस्त हो और अच्छाई की आत्मा पर  दुःख के फफोले उगाकर फिर उन्हीं को अपनी बेहयाई के तीक्ष्ण नखों से फोड़कर तिल तिल तड़पा रहा हो और उसकी कराह पर खुश हो रहा हो,ऐसे में भी बहुत कुछ ऐसा होता है जो अच्छाई की आत्मा के घावों पर मलहम ही नहीं बल्कि उसके लिए संजीवनी बूटी होता है जिसके सहारे अच्छाई गिर गिरकर संभलती,खड़ी होती है और प्रकाश की तरह दिलों में उजास भर जाती है।

    और फिर अच्छाई का 'खेल' से बड़ा कौन साथी हो सकता है।खेल जो खुद ही सकारात्मकता का पर्याय है।खेल जो उत्साह,उमंग,उल्लास का प्रतीक हो।अब देखिए ना क्रिकेट मैदान पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों से ज़्यादा आक्रामक,घमंडी और बददिमाग कौन हो सकते हैं।मार्च में दक्षिण अफ्रीका के दौरे के तीसरे टेस्ट के दौरान उनके द्वारा की गई बॉल टेम्परिंग बताती है कि वे जीत के लिए किस हद तक जा सकते हैं।लेकिन वे खिलाड़ी केवल नौ महीने बाद ही बॉक्सिंग डे पर एक ऐसा अनोखा मार्मिक दृश्य रचते हैं जो बेहद खूबसूरत बन पड़ता है और बताता कि अच्छी मर नहीं सकती,खुद समय ही क्यों ना चाह ले।वे दिल के असाध्य रोग से पीड़ित सात साल  के  आर्ची शिलर की, जिसके कि अब तक 13 ऑपरेशन हो चुके हैं, ऑस्ट्रेलिया का कप्तान बनने की इच्छा को पूरा करने के लिए उसे अपना मानद सह कप्तान बनाते हैं और बाकायदा उसे 12वां खिलाड़ी बनाते हैं।

                कल दिन में भारत ये मैच जीत चुका होगा या जीतने के करीब होगा।ये जीत आर्ची की इच्छा के बहाने दुनिया भर के घोर अभावों और मुश्किलों में जी रहे बच्चों की इच्छा और जिजीविषा को समर्पित करना चाहिए।अगर ये टेस्ट भारत हार भी जाता तो कोई मलाल न होता।ऐसी दृश्य संरचना पर तो कई जीत कुर्बान की जा सकती हैं।। 
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दरअसल साल बीतते  बीतते भी एक ऐसा खूबसूरत दृश्य रचकर आश्वस्त करने की कोशिश करता है कि खुद पर और समय पर भरोसा करो। 


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