Monday 10 September 2018

चाँद दाग़दार है तो हुआ करे खूबसूरत तो है



चाँद दाग़दार है तो हुआ करे खूबसूरत तो है
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                        आदि काल से लेकर आज तक चाँद कवियों का सबसे खूबसूरत और पसंदीदा उपमान रहा है। तो क्या ही ताज्जुब कि एक बीस साला खिलाड़ी जो अभी अभी अपनी टीन ऐज से बाहर आई हो,के लिए अपना पहला ग्रैंड स्लैम खिताब चाँद जैसा ना रहा होगा। लेकिन जब कवि चाँद के लिए कहता है 'मगर उसमें भी दाग़ है' तो ये विडम्बना ही है कि उस खूबसूरत उपमान को उस दाग़ के साथ ही स्वीकारना पड़ता है। और स्वीकारें भी क्यों ना उस दाग़ से उसकी खूबसूरती पर क्या फर्क़ पड़ता है। ठीक ऐसे ही जापान की युवा खिलाड़ी ओसाका के लिए उसका पहला ग्रैंड स्लैम खिताब यू एस ओपन हमेशा ही चाँद जैसा रहेगा क्या फ़र्क पड़ता है कि उसके साथ सेरेना-रामोस विवाद दाग़ के रूप में हमेशा जुड़ा रहेगा।
                    आज फ्लशिंग मीडोज स्थित बिली जीन किंग नेशनल टेनिस सेंटर के आर्थर ऐश सेंटर कोर्ट पर महिला टेनिस की महानतम खिलाड़ियों में से एक सेरेना विलियम्स और जापान की युवा खिलाड़ी नाओमी ओसाका जब आमने सामने हुईं तो दो खिलाड़ी ही एक दूसरे से मुख़ातिब नहीं हो रहे थे बल्कि एक विशाल अनुभव से एक युवा जोश मुक़ाबिल हो रहा था। 36 वर्षीया सेरेना का ये 30वां ग्रैंड स्लैम फाइनल था तो उनसे 16 साल छोटी 20 वर्षीया ओसाका अपना पहला ग्रैंड स्लैम फाइनल खेल रही थीं। जीतता कोई भी एक नया इतिहास बनना तय था। देखना ये था कि सेरेना 24वां ग्रैंड स्लैम जीत कर मारग्रेट कोर्ट की बराबरी करती हैं या फिर ओसाका ग्रैंड स्लैम जीत कर ऐसा करने वाली पहली जापानी खिलाड़ी बनती हैं। यहां जोश ने अनुभव को हरा दिया। इतिहास ओसाका ने रचा। जब वे सेरेना को 6-2 और 6-4 से हरा रहीं थीं तो वे केवल एक मैच भर नहीं जीत रही थीं वे बंद आँखों से देखे अपने सपने को फ्लशिंग मीडोज के मैदान पर साकार कर रहीं थीं,अपनी कल्पनाओं में बनाये चित्र में यथार्थ के रंग भर रहीं थीं,अपने बचपन में पढ़ी किसी परी कथा को मैदान पर जी रही थीं।उन्होंने बताया कि नज़्म हरूफ से सफ़े पर ही नहीं लिखी जाती है बल्कि खेल के बीच मैदान पर भी रची जाती है।

              आज जब उनके सामने सेरेना खड़ी थीं तो वे महज़ एक प्रतिद्वंदी नहीं थीं बल्कि उनका आदर्श भी थीं और उनका सपना भी। जब सेरेना अपना पहला ग्रैंड स्लैम रही थीं तब नोआमी कुछ महीने थीं।सेरेना को देखकर ही उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया और किसी दिन किसी ग्रैंड स्लैम में उनके खिलाफ खेलने के सपने को मन में समाए बड़ी हुईं। वे सेरेना से इस कदर प्रभावित थीं कि उनके ग्राउंड स्ट्रोक्स तक सेरेना की तरह हैं। और क्या ही विडम्बना है अपने आदर्श के हथियार से ही उन्होंने उनको मात दी।

                ओसाका शुरू से ही आत्म विश्वास भरी थीं। उन्होंने ना केवल कुछ महीने पहले मियामी ओपन में सेरेना को हराया था बल्कि इस प्रतियोगिता में ज़बरदस्त फॉर्म में थीं और यहां तक के सफर केवल एक सेट खोया था। दूसरी ओर सेरेना पास ना केवल लंबा अनुभव था बल्कि 14 महीने बाद वापसी करने के पश्चात बैक टू बैक दूसरा मेजर फाइनल था।इससे पहले वे विंबलडन के फाइनल में पहुँच चुकी थी और इस प्रतियोगिता में भी शानदार खेल रही थीं।जिस तरह से उन्होंने सेमी फाइनल में सेवस्तोवा के विरुद्ध नेट पर खेल दिखाया था और 6-3,6-0 जीतीं उससे भी लग रहा था कि वे अपनी पुरानी रंगत में लौट आई हैं।लेकिन आज ओकासा का दिन था।उन्होंने शुरू से ही खेल पर नियंत्रण रखा।उन्होंने शानदार सर्विस की और बेसलाइन से खेल पर नियंत्रण रखते हुए ज़बरदस्त फोरहैंड पासिंग शॉट्स लगाए।दूसरी ओर सेरेना ने बेज़ा गलतियां की और हर सर्विस गेम में डबल फाल्ट किए।पहले सेट में ओकासा ने दो बार सर्विस ब्रेक की और सेट आसानी से 6-2 से जीत लिया।लेकिन दूसरे सेट में सेरेना ने वापसी की और 3-1 की बढ़त ले ली।ऐन इसी समय वो हुआ जो नहीं होना चाहिए था।अंपायर रामोस ने खेल संहिता के उल्लंघन के लिए पहली चेतावनी दी कि बॉक्स से उनके कोच उन्हें इशारा कर उन्हें सहायता पहुंचा रहे हैं ।इस से सेरेना भड़क गयी और इस बात से इंकार किया।अगले ही गेम में एक अंक पर हताशा में रैकेट पटका तो रामोस ने खेल संहिता के दूसरे उल्लंघन के लिए ओकासा को एक अंक दे दिया।इस पर सेरेना और ज़्यादा भड़की और ना केवल रामोस को चोर कहा बल्कि माफी मांगने को कहा।इस पर तीसरे उल्लंघन के लिए एक गेम ओकासा को दे दिया।अब स्कोर 5-3 ओकासा के पक्ष में हो गया ।ओकासा ने धैर्य बनाये रखा और आखिरी गेम जीत कर फाइनल अपने नाम किया।ये क्या ही विरोधाभास था कि एक अनुभवी और सीनियर खिलाड़ी जिससे और अधिक संयम और समझदारी की उम्मीद थी उसने अधिक उग्र रूप दिखाया इसके विपरीत ओकासा ने ग़ज़ब की परिपक्वता और संयम का परिचय दिया।उनपर ना तो सेरेना के विशाल व्यक्तित्व का असर पड़ा और न इस असाधारण घटनाक्रम का। उसने खेल पर अपना फोकस रखा और इतिहास निर्मिति का सबब बनीं।

                              दरअसल इस घटनाक्रम ने अगर सबसे बड़ा नुक्सान किया तो खेल का किया।अगर ये ना हुआ होता तो हो सकता है एक शानदार मैच देखने को मिलता।पर ऐसा हो ना सका।पर जो हो यू एस ओपन को एक नई चैंपियन मिली और जापान को नयी खेल आइकॉन।
                             बहुत बधाई ओसाका!
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[सेरेना पर कुछ अलग से ।और हाँ डेल पोत्रो और जोकोविच के बीच होने वाले पुरुष फाइनल मैच पर कुछ नहीं क्योंकि अपना एक फेवरिट पहले ही हार चुका है और दूसरा फेवरिट रिटायर हर्ट । अस्तु ।]

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