ये लम्हे यूँ ही गुज़र जाएं
तो अच्छा
न तुम कुछ कहो
ना मैं कुछ कहूँ
बस धड़कने धड़कनों को सुनें
ये लम्हे यूँ ही सदियों में बदल जाएं
तो अच्छा ।
ए थलेटिक्स सभी खेलों का मूल है। उसकी तमाम स्पर्धाएं दर्शकों को रोमांच और आनंद से भर देती हैं। कुछ कम तो कुछ ज्यादा। और कहीं उसकी किसी स्पर्ध...
No comments:
Post a Comment