ज़िंदगी ---
पल पल कटती जाती
रफ्ता रफ्ता बीतती जाती
यूँ ही गुज़रती जाती
बेसाख़्ता तमाम होती जाती
इस बहुत कुछ होते जाने में
गर कुछ नहीं होता
तो यही कि ज़िंदगी जी नहीं जाती।
आप चाहे जितना कहें कि खेल खेल होते हैं और खेल में हार जीत लगी रहती है। इसमें खुशी कैसी और ग़म कैसा। लेकिन सच ये हैं कि अपनी टीम की जीत आपको ...
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