Friday, 30 May 2025

मर्सी राफा



दुनिया भर के खेल मैदान दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में से होते हैं। घोर प्रतिद्वंदिताओं और भीषण संघर्षों के वातावरण में भी इन मैदानों में सद्भाव, मैत्री और प्रेम की भीनी भीनी खुशबू जो फैली रहती है। ये खेल मैदान ही होते हैं जहां हर जीत के बाद भी गले मिलने के दृश्य नमूदार होते हैं और हर हार के बाद भी। आंखें सबकी बहती हैं जीत में भी,हार में भी। और फिर ये मैदान  प्रेम के शहर पेरिस का हो,तो बात ही अलग है।

हां,ये पिछले रविवार की ही तो बात है। दिवस का अवसान होने को है। और साथ ही एक कहानी का समापन भी। एक प्रेम कहानी का। एक मैदान से उसके सबसे बड़े चैंपियन की जुदाई की कहानी का। शायद तभी पेरिस के रोलां गैरों के फिलिप कार्टियर एरीना के सेंटर कोर्ट की लाल मिट्टी शर्म ओ हया से थोड़ी ज्यादा ही लाल हुई जाती है। उत्साह और खुशी से उसकी चमक थोड़ी और ज्यादा हुई जाती है और विछोह की उदासी से थोड़ी थोड़ी नम  भी हुई जाती है। आज उसे कुछ ऐसे दृश्य उद्भूत जो करने हैं, जो लोगों की स्मृति में अनंत काल के लिए अंकित हो जाने हैं। उसे आज इस मैदान के सबसे बड़े विजेता को आखिरी बार होस्ट करना है। ये विजेता कोई और नहीं, फ्रेंच ओपन के चौदह बार के विजेता राफेल नडाल हैं।

क के बाद एक दृश्य बन मिट रहे हैं। इन्हीं एक फ्रेम में राफा बीच कोर्ट में खड़े हैं। वे इंतजार कर रहे हैं। इसी बीच उनके तीन प्रतिद्वंदी मैदान में प्रवेश करते हैं। ये कोई और नहीं रोजर फेडरर,नोवाक जोकोविच और एंडी मरे हैं। कोर्ट में उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी। टेनिस के महानतम खिलाड़ी। वे खिलाड़ी जिनके विरुद्ध खेलते हुए संघर्ष के नए प्रतिमान रचे गए। सफलता के नए पैमाने स्थापित हुए। टेनिस खेल को नई ऊंचाइयां मिली। और उस खेल का  इतिहास ही नए सिरे से लिखा गया। लेकिन आज वे संघर्ष के लिए नहीं आए थे। वे आते हैं और आते ही बारी बारी से राफा को गले लगाते हैं। आंखें सबकी नम हो आती हैं और वातावरण कुछ कुछ गीला। प्रेम,मैत्री और सौहार्द्र से वातावरण महक महक जाता है। उसके बाद राफा अंपायरों और ग्राउंड स्टाफ से मिलते हैं और अंत में, अपने दो साल के बेटे को गोद में लेते हुए धीरे धीरे कदमों से कोर्ट से बाहर चले जाते हैं। 

नाटक का पर्दा गिर गया है। एक युग का समापन हो रहा है। किरदार चला जाता है। बाकी कुछ रह जाता है तो एक उदास जाल। कुछ फीकी सी सफेद चूने की लाइने। नम लाल मिट्टी। एक इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड। और,और एक सफेद रंग की आयताकार पट्टिका। जिस पर अंकित हैं राफा के पदचिह्न, उनका नाम, 14 का अंक, जीती गई 14 ट्राफियों का विवरण और ट्रॉफी कूप  डी मस्केटियर का चित्र भी। उसकी स्मृति को उसके चाहने वालों के ही नहीं बल्कि उनसे ईर्ष्या करने वालों के मन में भी हमेशा के लिए जीवित रखने के लिए। 


द्घोषक उद्घोषणा कर रहा है ' आपके पदचिह्न सदैव यहां रहेंगे।' 

स साल के फ्रेंच ओपन के पहले दिन इस कोर्ट के सबसे बड़े खिलाड़ी को एक शानदार विदाई से नवाजा जा रहा है। ये स्पेन के राफेल नडाल हैं। 

लेकिन ऐसे दृश्य ना तो पहले थे और ना ही अंतिम होंगे। याद कीजिए साल 2022 के 24 सितंबर के दिन को। उस दिन लंदन के प्रसिद्ध विंबलडन मैदान में लेवर कप के आखिरी मैच को खेल कर रोजर फेडरर विदा हो रहे थे। उनके दो सबसे बड़े प्रतिद्वंदी राफा और नोवाक के साथ साथ खुद रोजर की आँखें बह रही थीं। और उनके वे दोनों प्रतिद्वंदी उनको अपने काँधे बिठाए मैदान से विदा किए जाते थे। 

लंदन अतीत था। वहां फेडरर थे। पेरिस वर्तमान है। यहां राफा हैं। भविष्य शायद मेलबर्न हो और उसके किरदार नोवाक। 

खिर वो क्या बात है जो राफा को एक बड़ा और बहुत बड़ा खिलाड़ी बनाती है और उतना ही लोकप्रिय भी।

किसी खिलाड़ी की इमेज केवल खेल मैदान के अंदर उसके खेल भर से नहीं बनती। ये बनती है उसके खेल और खेल मैदान के बाहर उसके आचार विचार और व्यवहार से । ये बनती है उसके संपूर्ण व्यक्तित्व से। 

राफा टेनिस के महान खिलाड़ी हैं। इसमें कोई संदेह नहीं। बहुतों के लिए तो वे टेनिस के सार्वकालिक महानतम खिलाड़ी हैं। उनके हिस्से 22 ग्रैंड स्लैम खिताब हैं। नोवाक से दो कम और फेडरर से दो ज्यादा। नोवाक के अलावा सिर्फ वे ही हैं जिन्होंने दो बार ग्रैंड स्लैम पूरा किया। दोनों के पास ही गोल्डन ग्रैंड स्लैम हैं यानी ग्रैंड स्लैम के साथ ओलंपिक गोल्ड भी। लेकिन राफ़ा अकेले हैं जिनके पास एकल और युगल दोनों ओलंपिक गोल्ड हैं। 

लेकिन खेल में उनका सबसे बड़ा प्लस किसी एक खेल सतह पर उनका प्रभुत्व। जैसा डॉमिनेंस उनका मिट्टी वाली सतह पर है, वैसा किसी का भी किसी भी सतह पर नहीं है। वे 14 बार फ्रेंच ओपन जीतते हैं। वे यहां 116 में से 112 मैच जीते हैं और केवल चार बार हारे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने फ्रेंच ओपन के अलावा 12 बार्सिलोना ओपन,11 मोंटे कार्लो और 10 रोम ओपन खिताब जीते। क्ले कोर्ट पर उनको अजेय बनाती है उनकी टॉप स्पिन की कला। उनके फोरहैंड शॉट्स 4000 आरपीएम से भी ज्यादा गति से स्पिन होते हैं। ये गति अविश्वसनीय थी। इससे उन्हें उछाल भी अधिक मिलती जिसे विपक्षी संभालने में असमर्थ होते। और वे अजेय प्रतीत होते।

लेकिन जितना कूल वे खेल मैदान में रहते हैं उससे कहीं अधिक कूल मैदान के बाहर होते हैं। यहां तक कि फेडरर को भी कभी कभी निराशा में रैकेट पटकते हुए देखा जा  सकता है,लेकिन राफा को कभी नहीं। वे खेल मैदान में अपने शानदार खेल से खेल प्रेमियों का दिल जीतते हैं तो मैदान के बाहर अपने डिसेंट व्यवहार से अपने प्रशंसकों का दिल।

 स शताब्दी के पहले 25 वर्ष नोवाक,राफा और फेडरर की त्रयी के डॉमिनेंस के हैं। इनमें से फेडरर और नोवाक दो विपरीत ध्रुवों के नाम हैं। फेडरर बहुत ही नफासत वाले खिलाड़ी हैं। दर्शकों और मीडिया के सबसे चहेते। उनका हावभाव,व्यवहार ही नहीं बल्कि पूरा खेल नफासत भरा है। वे एलीट खेल के प्रतिनिधि खिलाड़ी हैं। इसके उलट नोवाक  जोकोविच इस खेल के मास का प्रतिनिधि चेहरा हैं। अंतिम समय तक संघर्ष करने का जज्बा, ख़ांटी व्यवहार,गुस्सैल,मीडिया और टेनिस जगत के विलेन की तरह। लेकिन असाधारण खेल प्रतिभा और उपलब्धियां ऐसी कि उसके आगे हर कोई नतमस्तक।

राफा उन दोनों के बीच कहीं ठहरते हैं। उन दोनों में संतुलन साधते। उन दोनों की विशेषताओं को अपने में समाहित करते। वे फेडरर की तरह खेल और व्यवहार में नफासत से भरे, लेकिन संघर्ष करने और अंतिम समय तक हार ना मानने वाला जज्बा लिए,बहुत ही विनीत और 'डाउन टू अर्थ ' व्यक्तित्व वाले।  एलीट और मास दोनों तत्वों को एक साथ साधते हुए।

12 साल की उम्र तक वे एक साथ फुटबॉल और टेनिस खेलते हैं। एक एलीट खेल और दूसरा मास का खेल। उनके खेल में फुटबॉल की ताकत और गति है और टेनिस की नफासत भी। वे नफासत के खेल टेनिस को चुनते हैं लेकिन उसमें फुटबॉल की गति और ताकत का समावेश करा देते हैं। वे संतुलन साधने में सिद्धहस्त हैं। खेल में भी और व्यवहार में भी। वे मूलतः रक्षात्मक खिलाड़ी हैं लेकिन आक्रमण में करने में भी उस्ताद। 

वे लेफ्टी थे। ये उनके खेल का सबसे बड़ा आकर्षण था। खेल चाहे कोई भी हो लेफ्टी को खेलते देखना सबसे बड़ा ट्रीट है। उसमें गजब का सौंदर्य होता है। एलिगेंस होता है। नफासत होती है। राफा के खेल में भी सब कुछ है। राफा का लेफ्टी होना उनकी अतिरिक्त विशेषता है जो उनके खेल को ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक बनाती है। 

तो अब,जब राफा कोर्ट में नहीं होंगे तो यकीन मानिए टेनिस खेल वैसा बिल्कुल नहीं रह जायेगा जैसा उनके कोर्ट में उपस्थित होने से होता था। 

'मर्सी राफा'। खेल को इतना खूबसूरत और आकर्षक बनाने के लिए।


Wednesday, 14 May 2025

किंग कोहली



खिलाड़ी बहुत से आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन इतिहास के सफहों पर और लोगों की स्मृति में केवल वे ही अमिट रह पाते हैं जो ना केवल खेल को गहरे से प्रभावित करते हैं,बल्कि अपनी प्रतिभा की स्थायी छाप भी छोड़ जाते हैं।

 'जेंटलमैन एलीट क्रिकेट' की शास्त्रीयता के सबसे बड़े नायक सुनील गावस्कर और 'मास क्रिकेट' के सबसे बड़े जननायक कपिलदेव ठहरते हैं, तो सचिन तेंदुलकर अपने संपूर्ण खेल से कपिल के 'मास क्रिकेट' को धर्म की ऊंचाइयों तक पहुंचाकर 'भगवान' कहलाने लगते हैं।

इतना होने पर भी भारतीय क्रिकेट दबा सहमा सा था, तो सौरव गांगुली ने उस पर ' किलिंग इंस्टिंक्ट' की सान चढ़ाई और प्रतिपक्ष की आंख में आंख डालने का हौसला रखने वाले 'दादा' कहाए। इस बीच वीरेंद्र सहवाग ने इसे नैसर्गिक स्वछंदता की खुशबू से महकाया, तो युवराज ने 'लेफ्टी एलिगेंस' की आब दी।

बुनियाद तैयार थी। एक ऐसे नायक की जरूरत अभी बाकी थी जिसे इसको शिखर तक पहुंचाना था। तब थाला 'कैप्टन कूल' आए। धोनी ने इसका परचम पूरी दुनिया में लहराया।

गुंजाइश अभी बाकी थी। तब किंग आया। बदलती दुनिया और बदलते क्रिकेट को अब कोहली जैसे ही खिलाड़ी की जरूरत थी। आधुनिक खेलों की सबसे बड़ी आवश्यकता है फिटनेस और प्रतिबद्धता। कोहली जैसा फिटनेस फ्रीक खेलों की दुनिया में और कौन दूजा था और प्रतिबद्धता का दूसरा नाम कोहली ना था तो और क्या था। वे अपनी फिटनेस और प्रतिबद्धता से केवल क्रिकेट को ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय खेल परिदृश्य को प्रभावित करते हैं और खेल की दुनिया में नए प्रतिमान गढ़ते हैं। सुनील क्षेत्री इसका सबसे बड़ा प्रमाण हैं। बाकी उनका खेल और खेल से बने आंकड़े अपनी कहानी खुद कहते हैं। 

हैरी केन,वीरेंद्र सहवाग और रिकी पोंटिंग उन्हें यूंही  'गोट' तो नहीं कहते। कोहली को सफेद शफ़्फाक पोशाक में देखना एक अद्भुत अनुभव था। अब इसकी कमी हमेशा खेलेगी। 

कोहली क्रिकेट का 'खुदा' ना सही पर 'खुदा' से कम भी तो नहीं।

लव यू कोहली।

एक जीत जो कुछ अलहदा है

  आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...