Sunday 29 October 2017

लड़कियों की अंडर-16 चौथी एशियाई फीबा बी डिवीज़न प्रतियोगिता




लड़कियों की अंडर-16 चौथी एशियाई फीबा बी डिवीज़न प्रतियोगिता

                       ज़िंदगी के तमाम रंजोग़म,दुश्वारियों,वर्जनाओं,प्रतिबंधों से बेफ़िक्र इन लड़कियों के चेहरों से छलकता उल्लास एक ऐसा बयान है जो कहता है कि ये खेल के मैदान से सफलता की ऊंची उड़ान की आश्वस्तकारी तैयारी है। पर अफ़सोस इस तरह के चित्र और उनके कारक इवेंट राष्ट्रीय मीडिया के लिए तो खबर नहीं ही बन पाती,स्थानीय प्रतिभागिता के बावजूद स्थानीय मीडिया का ध्यान आकर्षित करने में भी विफल रहती हैं। शायद ये मीडिया की मज़बूरी और चलन है कि सफलताओं से उपजी इन चेहरों की निश्छल हंसी से ज़्यादा उन्हें ग्लैमरस चेहरों और 'सेलेबल' खबरों की आवश्यकता है।

                     पिछले दिनों खेलों की बड़ी खबरों मसलन अंडर 17  फुटबाल,क्रिकेट,प्रो कबड्डी और बैडमिंटन  के सामने बंगलुरु में आयोजित लड़कियों की अंडर-16 चौथी एशियाई फीबा बी डिवीज़न प्रतियोगिता और उसमें भारत की सफलता खबर ही नहीं बन पाई। ये प्रतियोगिता बंगलुरु में 22  से 28 अक्टूबर तक खेली गयी। इसमें भारत की लड़कियों ने शानदार प्रदर्शन किया। ग्रुप स्टेज पर उन्होंने नेपाल को 106-37 से,श्रीलंका को 86-58 से ईरान को 97-53 से,सेमी फाइनल में कज़ाकिस्तान को 77-40 से और फाइनल में मलेशिया को 64-48 से हराकर बी डिवीज़न लीग जीत ली और ए डिवीज़न में एलिवेट हो गई है जहां अगली प्रतियोगिता में एशिया की टॉप टीमों चीन,जापान,ऑस्ट्रेलिया और कोरिया जैसी टीमों के साथ खेलेगी।

          इस टीम में एक लड़की इलाहाबाद से भी थी-वैष्णवी यादव।


                
                            वैष्णवी ने पूरी प्रतियोगिता में शानदार खेल दिखाया। वो शूटिंग गार्ड(SG) की पोजीशन पर खेलती है। उसने शानदार शूटिंग की। उसने 20.4 की औसत से अंक बटोरे और असिस्ट का औसत भी प्रति गेम 6.2 था। ये सबसे अधिक था। इसके अलावा प्रति गेम उनकी कुशलता(efficiency)का औसत भी सबसे अधिक 26.8 रहा।उसने फाइनल में भी शानदार खेल दिखाया। इस मैच में उसने 14 अंक बनाये,12 रीबाउंड लिए और 7 असिस्ट की। दो साल पहले जब वो पहली बार भारतीय टीम में चुनी गयी और 2015 में मेदान इंडोनेशिया में आयोजित अंडर 16 फीबा कप खेल कर वापस लौटी तो उसको मैंने इंटरव्यू किया था। उसने बताया था वो वहां केवल एक मैच खेली थी जिसमें उसने दो अंक अर्जित किये थे। ये शायद उस तरह का आग़ाज़ नहीं था जैसा कोई भी शुरू करने वाला चाहता है। लेकिन उस समय वो उत्साह से लबरेज़ थी। भविष्य के प्रति अत्यधिक उत्साहित और आशावान भी। उस समय उसने वायदा किया था वो और अधिक मेहनत करेगी। उसकी मेहनत रंग लाई। अब वो भारतीय टीम की अहम् सदस्य है। उसके लौट पर उससे आकाशवाणी के लिए एक इंटरव्यू तो बनता ही है।इंतज़ार कीजिए।
 

फिलहाल वैष्णवी और पूरी टीम को इस सफलता पर बधाई। 





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