Tuesday 25 April 2017

सौरव गांगुली और मेस्सी


सौरव गांगुली और मेस्सी 
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       ये रविवार की रात रियाल मेड्रिड के घरेलू सेंटियागो बेर्नाबेउ स्टेडियम में अपने चिर प्रतिद्वंदी बार्सेलोना से खेले गए शानदार रोमांचक 'ऐल क्लासिको' मैच से कुछ दिन पहले 8 मार्च की बात है।कैंप नोउ में बार्सेलोना चैंपियंस ट्रॉफी के प्री क्वार्टर फाइनल मैच में फ्रांस की नम्बर एक टीम सेंट जर्मैन पेरिस के विरुद्ध खेल रही थी। वो पहले चरण के मैच में पेरिस की टीम से 4-0 से हार चुकी थी और इस दूसरे चरण के मैच में रेगुलर समय के दो मिनट शेष रहते बार्सेलोना को जीत के लिए तीन गोलों की ज़रुरत थी कि नेमार जूनियर ने दो मिनट में दो गोल कर दिए और फिर इंजरी टाइम में 95वे मिनट में सर्गियो रॉबर्टो ने गोल कर चैंपियनशिप का सबसे बड़ा कमबैक कर  इतिहास रच दिया।कल रविवार की रात वे एक बार फिर यही कारनामा दोहरा रहे थे। मैच 2-2 से बराबर था। इंजरी टाइम के अंतिम क्षण थे। केवल तीस सेकंड बाकी थे। सेर्गेई रोबर्टो लेफ्ट विंग से शानदार मूव बनाता है .पेनल्टी बॉक्स में गेंद मेस्सी के पास आती है और फिर मेस्सी के जादुई पैरों से दिशा पाकर वो गेंद 15 मीटर की दूरी तय कर रियाल मेड्रिड के गोलकीपर नवास  के दाहिने से गोलपोस्ट के भीतर धंस जाती है। ये इस शानदार मैच का आख़री शॉट था जिससे उसने ना केवल अपने चिर प्रतिद्वंदी को 3-2 से परास्त कर दिया था बल्कि ये बार्सिलोना के लिए मेस्सी के जादुई पैरों से निकला 500वां गोल भी था। 500वां गोल बनाने का इससे शानदार अवसर और कोई हो भी नहीं सकता था। ये आउट राइट मेस्सी का मैच था जिसमें उसने दो गोल किये।
               जैसे ही मेस्सी ने दूसरा गोल दागा वो बाँए साइड लाइन की और दौड़ा,दौड़ते हुए अपनी जर्सी उतारी और दर्शकों के और लहरा दी। ऐसा करके वो एक ऐतिहासिक क्षण की निर्मिती कर रहा था जिसे किंवदंती बन जाना है ठीक वैसे ही जैसे 13 जुलाई 2002 को नेटवेस्ट सीरीज जीतने के बाद सौरव गांगुली ने क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स के मैदान पर ऐतिहासिक क्षण की निर्मिति की थी। जिस समय मेस्सी अपनी 10 नम्बर की जर्सी दर्शकों को दिखा रहे थे तो उनके मन में क्या चल रहा था ये सिर्फ वो और उनका ईश्वर जानते हैं। पर अनुमान लगा सकते हैं कि ज़रूर वे दर्शकों को कह रहे थे कि ये 10 नम्बर की जर्सी है। इसे ध्यान से देखो। इसे केवल लीजेंड पहनते हैं। वे ये भी बता रहे थे कि वे ही पेले और माराडोना की शानदार विरासत के सबसे वाजिब हक़दार हैं। वे ये भी बता रहे थे कि वे उस महाद्वीप से आते हैं जहा वर्ग संघर्ष की लम्बी परम्परा रही है,जहां एक बड़ा तबका आर्टिसन है जो किसी भी चीज़ को अपने हुनर से कलात्मक लालित्य में बदल देता है फिर वो चाहे फुटबॉल का खेल ही क्यों न हो। और वे उस कलात्मक फुटबॉल के असली नुमाइंदे हैं। वे ये भी बता रहे थे कि वे तुम्हारे चैम्पियन क्रिस्टियानो की तरह शक्ति और पावर से नहीं जीतते बल्कि लय ताल से बद्ध कलात्मक गति से जीतते हैं। वे बता रहे थे कि वे तुम्हारे चैम्पियन की तरह केवल मैच ही नहीं जीतते बल्कि दिलों को भी जीतते हैं। वे केवल जीत कर ही नहीं जीतते बल्कि हार कर भी वे ही जीतते हैं।
                  सौरव गांगुली और मेस्सी द्वारा जर्सी उतारना दो अलग खेलों में अलग अंदाज़ की दो अलग सन्दर्भों वाली परिघटनाएं हो सकती हैं। जहाँ सौरव अधिक अपने तेवर में अधिक आक्रामक और उत्तेजित थे वहीं मेस्सी शांत सहज और निर्विकार थे। पर दोनों में एक समानता ज़रूर थी।दोनों ही अपने गर्वीले प्रतिद्वंदियों के दम्भी समर्थकों एक ज़रूरी नसीहत और सबक दे रहे थे।
            पुनश्च मेस्सी तुम चैंपियन भले ही ना हो पर लीजेंड तुम ही हो। तुम हमारे दिलों पर राज़ करते रहोगे।

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