सबसे पहले आते हैं अक्षर
अक्षर गढ़ते हैं शब्द
शब्द से बनते है वाक्य
वाक्य बनाते हैं पृष्ठ
पृष्ठों से बनते हैं अध्याय
अध्याय मिलकर लेते हैं आकार पुस्तक का
अचानक आता है एक शीर्षक
किसी सामंत की तरह
मिट जाती है सबकी पहचान
सब जाने जाते हैं उस शीर्षक से।
आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...
Its awesome
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