Thursday, 28 May 2015

शब्द रोटी नहीं है



ये समय है शब्दों की सत्ता का

शब्द हैं आग और पानी एक साथ 

शब्द हैं प्यार और घृणा 

शब्द हैं शांति और हिंसा
शब्द हैं उम्मीद और नाउम्मीदी 
शब्द है  विनाश और विकास

शब्द हो सकते हैं कोरे आश्वासन

या झूठी दिलासा 
 शब्द वायदे भी हैं
और हैं बहाने भी
वैसे तो शब्द हैं हर हक़ीक़त ज़िंदगी की 
फिर भी एक सीमा पर आकर ठिठक जाती है उसकी सत्ता 
दरअसल शब्द नहीं बन सकते रोटी 
शब्दों से नहीं भरते पेट
वे नहीं बुझा सकते
पेट की आग !

एक जीत जो कुछ अलहदा है

  आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...