Monday 6 May 2019

कि हमने एक मिथक बनते देखा है






कि हमने एक मिथक बनते देखा है
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30 जून 2018 को रूस के कजान स्टेडियम में फुटबॉल विश्व कप के दूसरे दौर में ही फ्रांस ने अर्जेंटीना को हराकर बाहर कर दिया। मैच समाप्त होने के बाद एक खिलाड़ी उदास सा धीमे धीमे कदमों से बाहर जा रहा था। उसने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ये लियोनेस मेस्सी थे। दरअसल ये किसी खिलाड़ी का जाना नहीं था बल्कि करोड़ों फुटबॉल प्रेमियों के इष्ट देवता का समय से पूर्व रूठ कर जाने जैसा था। अब आप ही सोचिए अगर कोई गणपत बप्पा को चतुर्थी के दिन अपने घर स्थापित करता है तो फिर अनंत चतुर्दशी के दिन विधि विधान से विसर्जित करता है ना या फिर नवरात्र में दुर्गा की स्थापना करता है तो नवमी की पूजा के बाद ही विसर्जित करते हैं ना। तो फिर मेस्सी 15 जुलाई से पहले बिना जुले रीमे ट्रॉफी के बैगर कैसे जा सकता था। पर ऐसा हुआ। मेस्सी को समय से पहले ही रुखसत होना पड़ा। शायद मेस्सी की अनचाही विदाई के दुख के कारण बहते आंसुओं से ही उस दिन कज़ान के वातावरण में कुछ ज़्यादा नमी रही होगी,कराहों से हवा में सरसराहट कुछ तेज हुई होगी,हार की तिलमिलाहट से सूरज का ताप कुछ अधिक तीखा रहा होगा,दुःख से सूख कर मैदान की घास कुछ ज़्यादा मटमैली हो गयी होगी और कजान एरीना से बाहर काजिंस्का नदी वोल्गा नदी से गले लग कर जार जार रोई होगी।

लेकिन बीते बुधवार को कैम्प नोउ के मैदान में मेस्सी के जादू को देखकर बार्सिलोना में ही नही बल्कि कजान की धूप में भी मुलामियत पसर गई होगी,हवा में मुस्कराहटों का संगीत तैर गया होगा,मैदान की घास फिर से हरी हो गई होगी और हां कजिंस्का नदी फिर वोल्गा के गले लगी होगी और इस बार खुशी के आंसू बहाए होंगे।
दरअसल इस शाम बार्सिलोना एफ सी की टीम अपने मैदान कैम्प नोउ में चैंपियंस लीग के सेमीफाइनल के पहले चरण के मैच में लिवरपूल की टीम को होस्ट कर रही थी। पिछले विश्व कप की असफलता को भुला कर मेस्सी इस सीजन अपने पूरे रंग में आ चुके थे। और अब मैच दर मैच अपना जादू बिखेरा रहे थे। इस मैच से पहले वे इस सीजन 46गोल कर चुके थे। बार्सिलोना को स्पेनिश लीग का खिताब दिला चुके थे। और....और इस मैच में अपने खेल के जादू से पिछले साल की उपविजेता लिवरपूल की टीम को लगभग बाहर ही नहीं कर रहे थे बल्कि दर्शकों को हिप्नोटाइज़ कर रहे थे और अपने खेल कैरियर का एक और लैंडमार्क स्थापित कर रहे थे। जब 75वें मिनट में अपना पहला और टीम का दूसरा गोल कर रहे थे तो ये अपने क्लब के लिए 599वां गोल था। और उसके बाद 83वें मिनट में मेस्सी का ट्रेडमार्क गोल आया। उनका 600वां गोल दरअसल इससे कम शानदार नहीं ही होना चाहिए था। ये एक फ्री किक थी। वे 35 मीटर दूरी से गोल के लगभग बाएं पोल के सामने से किक ले रहे थे। सामने चार विपक्षी खिलाड़ियों की मजबूत दीवार। गोल पर सबसे महंगे और शानदार गोलकीपर एलिसन मुस्तैद। ये एक असंभव कोण था। लेकिन मेस्सी के लिए नहीं। मेस्सी ने किक ली। बॉल एक तीव्र आर्च बनाती हुए सामने खिलाड़ियों की दीवार के सबसे बाएं खिलाड़ी के ऊपर से गोल पोस्ट के पास जब पहुंची तो एक क्षण को लगा कि बॉल गोलपोस्ट से बाहर। पर ये क्या! बॉल तीक्ष्ण कोण से दांई ओर ड्रिफ्ट हुई और गोल के ऊपरी बाएं कोने से होती हुई जाल में जा धंसी। ये गोल नहीं था। एक खूबसूरत कविता थी जिसे केवल मेस्सी के कलम सरीखे पैर फुटबॉल के शब्दों से विपक्षी गोल के श्यामपट पर लिख सकते थे। दरअसल कोई एक चीज कला और विज्ञान दोनों एक साथ कैसे हो सकती है,इसे मेस्सी के फ्री किक गोलों को देखकर समझा जा सकता है। वे विज्ञान की परफेक्ट एक्यूरेसी के साथ अद्भुत कलात्मकता से अपनी पूर्णता को प्राप्त होते हैं। इस गोल के बाद एक खेल पोर्टल जब ये ट्वीट करता है कि "लिटिल जीनियस डिफाइज लॉजिक" तो आप समझ सकते हैं क्या ही खूबसूरत गोल रहा होगा।और 600 गोल के लैंडमार्क को प्राप्त करने के लिए इससे कम खूबसूरत गोल की दरकार हो सकती है भला।
ओह ! लव यू मेस्सी !
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दरअसल जब आप मेस्सी को खेलते देख रहे होते हैं तो एक खिलाड़ी को,एक फुटबॉल जीनियस या लीजेंड भर को नहीं देख रहे होते हैं बल्कि भविष्य के एक मिथक को बनते महसूस कर रहे होते हो। जब इस मैच को देखने के बाद गैरी लिनेकर जैसा फुटबॉलर ये कह सकता है कि 'मैं इतना भाग्यशाली हूँ कि अपने ग्रैंड चिल्ड्रेन्स को बता पाऊंगा मैंने मेस्सी को खेलते देखा है" तो आप भी अपने को सौभाग्यशाली मानिए कि आपने मेस्सी को खेलते देखा है,कि फुटबॉल के मैदान में एक मिथक को बनते देखा है।

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