Friday, 1 April 2016

प्रेम


ताजमहल को देख समझ आता है 
कितना मुश्किल है एक शब्द को 
आकार दे पाना 
लैला मजनू ,हीर रांझा ,शीरी फरहाद के किस्से पढ़ समझ आता है 
कितना मुश्किल है एक शब्द को 
निभा पाना 
पद्मावती के जौहर को जान समझ आता है 
कितना मुश्किल है एक शब्द से 
गीलेपन को सोख पाना 
खाप पंचायतों के फतवों को सुन समझ आता है
कितना मुश्किल है एक शब्द को 
जी पाना  
फिर भी ज़ुर्रत होती है 
एक शब्द को गले लगा पाने की 
आओ 
मैं और तुम भी करें वही ज़ुर्रत 
हम भी एक शब्द को दें 
आकार 
विस्तार 
छुअन 
कुछ रंग
जीवन  
और लिख दें ज़िंदगी पर एक शब्द 
प्रेम। 
--------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment

एक जीत जो कुछ अलहदा है

  आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...