Tuesday, 26 January 2016



उस जगह
जहाँ हमने कभी
गुनगुनाया था प्रेम
और
बोए थे कुछ सपने
एक ज़िंदगी उगाने को


अब वो जगह
पड़ी हैं वीरान वीरान
कुछ उदास उदास
बह रहा है
एक शोर धीमा धीमा
सूखे पत्तों का
मोजार्ट और बीथोहोवेन की उदास धुनों सा
और मैं सुन हूँ बहका बहका सा ।
---------------------------------
नितांत खालीपन वाले इस समय में

No comments:

Post a Comment

एक जीत जो कुछ अलहदा है

  आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...