Friday, 14 August 2015

गाओ सपने ...


        











छोड़ दो खुला 
हमारे हिस्से का आसमान 
हम आ रहे हैं 
गाने को  
अंधेरों का शोकगीत 
और करने मुनादी 
कि उन्हें पहुंचा दिया है उनके अंज़ाम तक 

नहीं डरेंगे अब 
कि दुखों के पेड़ से उतर कर बेताल 
आ बैठेगा फिर फिर हमारे कंधों पर 
अब हम 
ओढ़ कर धूप 
खेलेंगे ख़ुशी 
गाएंगे सपने 
और आसमान पर लिख देंगे नाम 
ज़िंदगी ...ज़िंदगी ज़िंदगी   

No comments:

Post a Comment

एक जीत जो कुछ अलहदा है

  आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...