तेरी सांसें
सर्द रातों में
शोला बन
देह में कुछ पिघलाती रहीं
तेरी छुअन
तपती दोपहर में भी
बर्फ़ की मानिंद
मन में कुछ जमाती रही
ज़िंदगी बस यूँ ही
पिघलते और जमते
रफ्ता रफ्ता गुज़रती गई।
आपके पास हजारों तमगे हो सकते हैं,पर कोई एक तमगा आपके गले में शोभायमान नहीं होता है। हजारों जीत आपके खाते में होती हैं, पर कोई एक जीत आपके...
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