Monday, 25 August 2014

भस्मासुर




वो जो सबसे शक्तिशाली है
मन के किसी कोने में सबसे बुझदिल है
उसे सताता है डर 
हर पल
अपने जैसे ही किसी दूसरे के अपने मुक़ाबिल खड़े होने का
डरता है हर किसी से
ना जाने कौन सा निहत्था उसे कर दे निरुत्तर
ना जाने कौन सा बच्चा खड़ा हो जाए उसके ख़िलाफ़ लेकर हथियार
ना जाने कौन सा किसान छीन ले  उसकी मुँह का निवाला
ना जाने कौन सा नागरिक छीन ले उसकी आज़ादी
ना जाने कौन सा शासक छीन ले उसकी सत्ता
गिराता है परमाणु बम
चलाता है  ड्रोन से मिसाइलें
जलाता है तेल के कुँए
रोकना चाहता है आत्महत्या करते किसानों की सब्सिडी
करता है हवाई हमले  मातृभूमि की मांग करते बच्चों और औरतों पर
बंद कर देना चाहता है अभिव्यक्ति  के सारे साधन
चाहता है हर किसी को रौंदना
चाहता है कुचलना
कर देना चाहता है नेस्तनाबूद
मिटा देना चाहता है अस्तित्व
पर वो नहीं जानता 
भस्मासुर भी नहीं बचा था 
एक दिन 
अपनी शक्ति के मद में चूर
वो भी उसी की तरह नाचेगा
अपने सर हाथ रखकर 
और खुद ही भस्म हो जाएगा।

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