Wednesday, 25 September 2013

ख़तरा आ चुका है






ट्रेन के इंतज़ार में खड़ा स्टेशन पर

कि अचानक एक छोटा सा लड़का सामने आया

मांगने के लिए  हाथ बढ़ाया 

गरीबी को समझाया 

भूख की दुहाई दी 

माँ की बीमारी का वास्ता दिया 

और खूब ही गिडगिडाया 

पर मेरे आदर्शवाद ने उसकी सारी  दलीलों को ठुकराया 

मैं बोला पढ़ो लिखो और काम करो 

उसने पूछा आपके साथ चलूँ 

मैं सकपकाया और जल्दी से एक नोट उसके हाथ थमाया

नोट थामते ही उसकी आँखे बोल उठी 

 मेरी तरह अपने स्टैंड पर दृढ रहो 

और सफलता के लिए लगातार प्रयत्न करो

 सफलता मिलती है 



फिर वो  गया और जल्दी ही पास की स्टाल पर प्रकट हुआ 

 पेप्सी  और चिप्स का  पैकेट हाथ में लिए 

उसने कुछ घमंड और उपेक्षा भरी नज़रों से देखा 

मानो कह रहा हो उपभोग करना सिर्फ तुम्हारा अधिकार नहीं 

उपभोग को मैंने भी अच्छी तरह से सीख  पढ़ लिया है 



मैं सिहर उठा 

पानी सर से ऊपर जा चुका है 

शत्रु निकट से निकटतर आ चुका है 

बाज़ार का जादू उसके ही सर चढ़ कर बोल रहा है 

और दिल के रस्ते दिमाग को जकड चुका है 

जिसके लिए कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो रची गयी 

और बन्दूक की नली से क्रांति करी गयी। 

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